डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अश्लील सामग्री प्रस्तुत किये जाने पर पाबंदी लगाने की मांग
18-Jun-2024 10:58 PM 5213
नयी दिल्ली, 18 जून (संवाददाता) ‘सेव कल्चर सेव भारत’ फाउंडेशन ने ‘एक्स’ तथा नेटफ्लिक्स जैसे प्लेटफॉर्मों पर धड़ल्ले से कथित रूप से अश्लील सामग्री परोसे जाने का आरोप लगाते हुये मंगलवार को कहा कि ये प्लेटफॉर्म भारत में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) जैसे कानूनों का उल्लंघन कर रहे हैं। ‘सेव कल्चर सेव भारत’ फाउंडेशन के संस्थापक उदय महुरकर ने राजधानी में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में नेट पर इस तरह की सामग्री की प्रस्तुति पर पूर्ण पाबंदी लगाने की मांग करते हुये कहा, “एक्स, नेटफ्लिक्सि और ओटीटी प्लेटफ़ॉर्मों पर अश्लील सामग्री से युवाओं के मन पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। समाज में यौन विकृति को बढ़ावा मिल रहा है। इसीलिये, अश्लील सामग्री परोसने वाली वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाना और इन पर कानूनी कार्रवाई करना बेहद जरूरी हो गया है। अमेजन, प्राइम, हॉटस्टार, सोनीलाइव जैसे अन्य ओटीटी प्लेटफ़ॉर्मों की जांच की आवश्यकता है।” उन्होंने कहा कि फाउंडेशन नेट पर अश्लील सामग्री की भरमार और इसके दुष्प्रभावों से चिंतिति है तथा इस बारे में शीर्ष से निचले स्तर पर लोगों को जागरूक कर रहा है। फाउंडेशन के संस्थापक ने कहा कि किशोरवय के बच्चे के भविष्य को सुंदर बनाने और देश की सांस्कृतिक संरचना को सुरक्षित और जीवंतमय बनाने में उनकी रचनात्मक भूमिका के लिये उन्हें मानसिक दुष्प्रभाव डालने वाली इंटरनेट सामग्री से बचाना जरूरी है। श्री महुरकर ने कहा, “ इन प्लेटफॉर्मों पर सामग्री इतनी अश्लील और भयावह है कि उसे सेंसर बोर्ड ‘ए’(एडल्ट) का प्रमाणपत्र की मंजूरी नहीं देना चाहेगा।” संवाददाता सम्मेलन में विधि विशेषज्ञ विष्णु शंकर जैन ने कहा " एक्स और नेटफ्लिक्स भारतीय कानूनों एवं नियमों के उल्लंघन के लिए पूरी तरह से उजागर हो चुके हैं। उन्होंने पॉक्सो अधिनियम, आईटी अधिनियम और आईपीसी जैसे कानूनों का उल्लंघन करने के अलावा हमारे देश की नैतिक और सांस्कृतिक संरचना को भी नुकसान पहुंचाया है।" फाउंडेशन ने मनोवैज्ञानिक प्रभावों के बारे में चिंताओं को उठाया है, जिसमें अध्ययनों का हवाला दिया गया जो पोर्नोग्राफी (अश्लील दृश्य सामग्री) के सेवन को दुष्कर्म जैसे यौन हिंसा में वृद्धि से जोड़ते हैं। श्री महुकर ने कहा कि अमेरिका के कुख्यात दुष्कर्मी एवं सीरियल किलर टेड बुंडी ने अपनी मौत से पहले कहा था कि इसमें कोई दो राय नहीं कि पोनोग्राफी बलात्कारियों के लिये अपराध का प्रमुख प्रेरक सामग्री होती है। उन्होंने इसी संदर्भ में भारत में एक स्कूल प्रिंसिपल द्वारा पोर्न देखने के बाद नाबालिगों के साथ दुष्कर्म के मामले का भी उदाहरण दिया। श्री महुरकर ने कहा कि सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के माध्यम से तैयार डीपफेक वीडियो (जो हुबहू लगने वाली लेकिन नकली) सामग्री की जांच करने और प्रौद्योगिकी के बेहतर उपयोग के तरीके तलाशने के लिए 'डिजिटल इंडिया बिल' को पेश करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में, सरकार को यह प्रावधान शामिल करना चाहिए कि यदि कोई सामग्री प्रदाता या एकत्रितकर्ता अश्लील सामग्री की स्ट्रीमिंग को नियंत्रित करने में असफल रहता है, तो उसे तुरंत प्रतिबंधित किया जाना चाहिए और भारत में संचालन करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। फाउंडेशन के पदाधिकारी ने बताया कि उनकी ओर से इस संबंध में संबंधित मंत्रालयों, सरकारी अधिकारियो, प्रधानमंत्री कार्यालय तथा गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर और पर्याप्त सबूत साझा किये गये हैं।...////...
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