सत्ता के मद के आगे प्रेस, न्यायपालिका को नहीं झुकना चाहिए: होसबाले
26-Jun-2025 10:01 PM 3586
नयी दिल्ली 26 जून (संवाददाता) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने आज कहा कि आपातकाल की 50 वर्षगांठ के मौके पर नयी पीढ़ी को यह सिखाने की जरूरत है कि सत्ता के मद और अहंकार में डूबे लोगों के समक्ष स्वतंत्र न्यायपालिका और स्वतंत्र पत्रकारिता को ना झुकना चाहिए और ना ही अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का समर्पण करना चाहिए। श्री होसबाले ने गुरुवार को यहां डॉ. अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केन्द्र में आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने के मौके पर ओल्ड ब्वाज़ क्लब या एल्युमनी मीट बनाने से बचना चाहिए जहां लोग अपनी यादें ताज़ा करके लौट जाते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान पीढ़ी को अलग तरीके से बताना होगा कि मौलिक अधिकारों का हनन किस तरह से हुआ था। इसका विश्लेषण करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आपातकाल के बाद श्रीमती इंदिरा गांधी तीन मोर्चाें पर हारी थीं। अदालत में राजनारायण के केस में उनकी हार हुई थी। गुजरात विधानसभा चुनावों में जनता फ्रंट से कांग्रेस चुनाव हार गयी थी और तीसरी हार देश के विभिन्न भागों में जयप्रकाश नारायण के भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, चुनाव सुधार आदि मांगों के आंदोलन के कारण विपरीत जनमत बनना थी। श्री होसबाले ने कहा कि इस लड़ाई को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने आगे बढ़ाया था। उन्होंने यह भी कहा कि आपातकाल को याद करने के साथ ही हमें यह भी याद करना चाहिए कि जनता के आंदोलन के कौन से मुद्दों को लेकर आपातकाल की नौबत आयी थी। उन्होंने कहा कि 50 साल के दौरान उन मुद्दों पर काम हुआ है। प्रशासनिक सुधार, चुनाव सुधार, शिक्षा नीति में बदलाव आदि ऐसे ही कुछ मुद्दे हैं। इन मुद्दों पर आगे काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश में 1950 में गणतंत्र आया और संविधान लागू हुआ लेकिन 25 साल बाद ही इसे परीक्षा देनी पड़ी। गुलामी के कालखंड में एक बार ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने कहा था कि भारतीय लोग आज़ादी के हक़दार नहीं है। लेकिन आपातकाल में हमारे संघर्ष ने दिखा दिया कि हम लोकतंत्र और स्वतंत्रता की परीक्षा में जनसामान्य की चेतना और नौजवानों की ऊर्जा के कारण विजयी रहे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अपने उद्बोधन में आपातकाल के अपने संस्मरणों को साझा करते हुए कहा कि आपातकाल की लड़ाई को और उसमें बलिदान देने वालों को कभी भूलना नहीं चाहिए। उन्हीं के बलिदानों के कारण आज हमारा देश, देश की आजादी और लोकतंत्र बरकरार है। कुर्सी बचाने की जैसी निर्लज्जता आपातकाल में हुई वैसी आज की पीढ़ी कल्पना नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि उस समय विचार भिन्नता नहीं बल्कि विचार शून्यता उत्पन्न हो गयी थी। मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला, चिंतक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं आपातकाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले श्री के एन गोविंदाचार्य, जाने माने पत्रकार पद्म भूषण डॉ. रामबहादुर राय, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सचिव डॉ सच्चिदानंद जोशी ने भी अपने विचार साझा किये। हिन्दुस्तान समाचार न्यूज़ एजेंसी के अध्यक्ष अरविंद मार्डीकर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। आपातकाल के दौरान अपनी सक्रिय भूमिका की स्मृतियों को साझा करते हुए पद्म भूषण डॉ. रामबहादुर राय ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की “हायरार्की” को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के “होरीज़ोन्टल नेटवर्क’ ने तोड़ दिया था तभी आपातकाल समाप्त हुआ था। इसके दो ही महानायक थे, एक- लोकनायक जय प्रकाश नारायण और दूसरे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक बालासाहेब देवरस। कार्यक्रम में पूर्व केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, संघ के पूर्व सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी तथा आपातकाल की यातना झेलने वाले अनेक व्यक्ति उपस्थित थे।...////...
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