कर्नाटक में भाजपा की "विनाशकारी विरासत" की जांच करें मोदी: सिद्दारमैया
02-Nov-2024 03:28 PM 6237
बेंगलुरु, 02 नवंबर (संवाददाता) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से हाल के दिनों की गयी कांग्रेस सरकार की आलोचनाओं पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और उनसे पहले कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रिकॉर्ड की जांच करने का आग्रह किया है। श्री सिद्दारमैया ने भाजपा पर राज्य में "विनाशकारी विरासत" छोड़ने का आरोप लगाया और दावा किया कि उनकी सरकार ने अपने सभी पांच प्रमुख वादों को पूरा किया है, जिसके लिए 52,000 करोड़ रुपये से अधिक का बजट आवंटन और पूंजी विकास के लिए 52,903 करोड़ रुपये की अतिरिक्त प्रतिबद्धता जताई गई है। उन्होंने शुक्रवार को भाजपा के कार्यकाल के दौरान कथित "40 प्रतिशत कमीशन" घोटाले का संदर्भ दिया और दावा किया कि पूर्ववर्ती सरकार ने उन संसाधनों को डायवर्ट किया जिससे कर्नाटक की प्रगति को गति दी जा सकती थी। उन्होंने कहा, "हम उसी 40 प्रतिशत कमीशन को अब लोगों की सेवा के लिए पुनर्निर्देशित कर रहे हैं।" उन्होंने कहा "भाजपा की उपलब्धि क्या है? इसने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया, कर्नाटक को कर्ज में डूबा दिया और इन विफलताओं को छिपाने के लिए प्रचार पर भरोसा किया।" गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के वादों का जिक्र करते हुए कहा, "कांग्रेस को यह एहसास हो रहा है कि झूठे वादे करना, तो आसान है, लेकिन उन्हें सही तरीके से लागू करना मुश्किल या असंभव है।" उन्होंने कहा कि कांग्रेस अक्सर लोगों से बिना किसी वास्तविक योजना के बड़े-बड़े वादे करती है, जिससे वह "बुरी तरह से बेनकाब" हो जाती है। श्री मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के हाल ही में कर्नाटक सरकार से अपने वादों को राज्य के बजट के साथ जोड़ने के आह्वान पर भी बात की, जिसमें उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपने एजेंडे को प्रबंधित करने में आंतरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। श्री सिद्दारमैया ने कहा कि श्री मोदी के नेतृत्व में भारत का ऋण वित्त वर्ष 25 तक 185.27 खरब रुपये या सकल घरेलू उत्पाद का 56.8 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि यह भारतीय नागरिकों पर भारी बोझ है। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर कर्नाटक को संघीय निधियों का उचित हिस्सा देने से इनकार करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राज्य को केंद्रीय खजाने में योगदान देने वाले प्रत्येक रुपये के लिए केवल 13 पैसे मिलते हैं। उन्होंने कहा कि यह असंतुलन "सहकारी संघवाद" को कमजोर करता है और महत्वपूर्ण कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने की राज्य की क्षमता को सीमित करता है।...////...
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