गुवाहाटी संस्थान के वैज्ञानिकों ने “जहरीले पौधों के औषधीय गुण” का पता लगाया
19-Jun-2025 11:10 PM 5790
नयी दिल्ली, 19 जून (संवाददाता) वैज्ञानिकों ने जैव-विविधता से समृद्ध असम में पाए जाने वाले अत्यंत जहरीले पौधों पर शोध कर उनमें में छुपी ऐसी उपचार क्षमताओं का पता लगाया है जिससे कुछ मामलों में चिकित्सा का की रूपरेखा बदल सकती है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने गुरुवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के गुवाहाटी स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईएएसएसटी) के शोधकर्ताओं ने 70 जहरीले पौधों की प्रजातियों की पहचान की, जिनका उपयोग पारंपरिक रूप से बुखार और जुकाम से लेकर त्वचा रोगों और एडिमा तक कई तरह की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। इन पौधों का उपयोग पहले से ही होम्योपैथी और पारंपरिक भारतीय चिकित्सा में किया जाता है। शोधकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि पौधे फाइटोकेमिकल्स उत्पन्न करते हैं- प्राकृतिक यौगिक जो उनके स्वयं के अस्तित्व के लिए उपयोग किए जाते हैं और मानव जीव विज्ञान को भी प्रभावित कर सकते हैं। वहीं इनमें से कुछ विषाक्त होते हैं, लेकिन कुछ को पृथक करके संशोधित करने पर उनमें औषधीय गुण प्रचुर मात्रा में होते हैं। आईएएसएसटी के निदेशक प्रोफेसर आशीष के मुखर्जी और वरिष्ठ शोध फेलो भाग्य लखमी राजबोंगशी के नेतृत्व में एक शोध दल ने मौजूदा साहित्य की समीक्षा की और 70 जहरीले पौधों की प्रजातियों की पहचान की, जिनका उपयोग पारंपरिक रूप से बुखार और जुकाम से लेकर त्वचा रोगों और एडिमा तक कई तरह की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। इन पौधों का उपयोग पहले से ही होम्योपैथी और पारंपरिक भारतीय चिकित्सा में किया जाता है। शोधकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि पौधे फाइटोकेमिकल्स उत्पन्न करते हैं- प्राकृतिक यौगिक जो उनके स्वयं के अस्तित्व के लिए उपयोग किए जाते हैं और मानव जीव विज्ञान को भी प्रभावित कर सकते हैं। वहीं इनमें से कुछ विषाक्त होते हैं, लेकिन कुछ को पृथक करके संशोधित करने पर उनमें औषधीय गुण प्रचुर मात्रा में होते हैं। विज्ञप्ति में कहा गया है कि आधुनिक फार्माकोलॉजी इन फाइटोकेमिकल्स की क्षमता को पहचानने लगी है। इन विषैले यौगिकों को सावधानीपूर्वक वैज्ञानिक प्रसंस्करण के साथ शक्तिशाली चिकित्सीय घटकों में बदला जा सकता है। टॉक्सिकॉन: एक्स (एल्सेवियर) में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि इन प्राकृतिक विषाक्त तत्वों का अध्ययन, वैधीकृत कैसे किया जा सकता है और संभावित रूप से इन्हें जीवनरक्षक दवाओं में कैसे बदला जा सकता है।...////...
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