08-Jun-2024 01:25 PM
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पटना, 08 जून (संवाददाता) राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की बड़ी पुत्री राज्यसभा सांसद मीसा भारती ने पाटलिपुत्र संसदीय सीट से जीत दर्ज कर न सिर्फ अपने पिता के सपनों को पूरा किया, जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था, वहीं इस जीत के साथ ही वह अब एमबीबीएस के बाद राजनीति की परीक्षा में भी टॉपर बन गयी हैं।
वर्ष 2009 में पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर पहली बार चुनाव हुए। पाटलिपुत्र के पहले चुनावी अखाड़े में एक ओर जहां राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव थे, वहीं दूसरी ओर श्री यादव के पुराने साथी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) नेता रंजन प्रसाद यादव। जदयू के रंजन प्रसाद यादव ने लालू प्रसाद को पटखनी देकर सबको हैरान कर दिया। रंजन प्रसाद यादव ने लालू प्रसाद यादव को 23 हजार 541 वोट से हराया और उनके राजनीतिक कद पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया।वर्ष 2013 में चारा घोटाले मामले में सजा सुनाए जाने के बाद 2014 से लालू के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लग गया।
खानदान की विरासत लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप की ओर खिसकाने की पहल हो चुकी थी, ऐसे में मीसा ने अपने पिता के उत्तराधिकारी में खुद को पेश किया। मीसा की पहल को एक ऐसी बेटी की पहल माना जा रहा था, जो अपने पिता लालू यादव के बिखरते साम्राज्य को देखकर व्यथित थी। उन्होंने लालू की हारी लोकसभा सीट पाटलिपुत्र को कुछ इस अंदाज में अपनाया कि परिवार के सबसे भरोसेमंद वफादार रामकृपाल यादव भी दुश्मन के खेमे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में पहुंच गये। मीसा अपने पिता का हाथ मजबूत करने आगे आ चुकी थी।
मीसा ने वर्ष 2014 के चुनाव में पाटलिपुत्र संसदीय सीट को चुना जहां से उनके पिता लालू 2009 में हार गए थे, जबकि आसान सीट सारण को मां राबड़ी देवी के लिए छोड़ दिया, जहां से लालू वर्ष 2009 में जीत गये थे। सियासी गलियारों में चर्चा थी कि मीसा की इच्छा अपने राजनैतिक करियर से ज्यादा रंजन यादव को हराने की है। मीसा ने तब कहा था,'हां, मैं लालू जी की बेटी हूं, यही अपने में बड़ी योग्यता है, लेकिन इससे मुझे अतिरिक्त दायित्व बोध और चुनौतियां भी मिल जाती हैं। मैंने राजनीति के बीच ही सांस लेना सीखा। नेताओं के बच्चों के भी राजनैतिक अधिकार हैं. क्या नहीं होने चाहिए?
वर्ष 2014 के आम चुनाव में पाटलिपुत्र सीट पर अपनों के बीच सियासी घमासान देखने को मिला।मीसा राजद के टिकट पर चुनावी समर में उतरी थी। कभी लालू के करीबी रहे रंजन प्रसाद यादव, जनता दल यूनाईटेड (जदयू) तो राम कृपाल यादव भरतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर चुनावी अखाड़े में थे।चुनाव से पहले ऐसा माना जा रहा था कि राम कृपाल यादव भाजपा में जाकर और पाटलिपुत्र से लालू यादव की बेटी के खिलाफ चुनाव लड़कर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं, लेकिन उन्होंने मीसा भारती को हराकर सबको चौंका दिया। रंजन यादव तीसरे नंबर पर रहे। वर्ष 2019 में भी मीसा को पाटलिपुत्र सीट पर भाजपा के श्री राम कृपाल यादव से हार का सामना करना पड़ा। इस बार के चुनाव मे मीसा बुलंद हौसलों के साथ उतरी और भाजपा के रामकृपाल यादव को पराजित कर राजनीति में भी परचम लहरा दिया। मीसा ने पाटलिपुत्र की धरती पर अपनी पार्टी की लालटेन ‘ रौशन’ कर दी
22 मई 1976 को बिहार की राजधानी पटना में मीसा भारती का जन्म हुआ। पिता लालू प्रसाद और मां राबड़ी ने अपनी बड़ी बेटी का नाम रखा मीसा भारती। वर्ष 1976 में पूरे देश में आपातकाल (इमरजेंसी) लागू था और कई बड़े नेताओं को उस समय की सरकार ने जेल में डाल दिया था। इमरजेंसी में जिस कानून के तहत सरकार का विरोध कर रहे नेताओं और कार्यकर्ताओं को जेल में डाला गया था उसे मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्यूरिटी एक्ट (मीसा) के नाम से जाना जाता था। इमरजेंसी के दौरान जेले जाने वाले नेताओं ने लालू प्रसाद यादव भी शामिल थे। लालू प्रसाद यादव, उन दिनों जय प्रकाश नारायण (जेपी) के साथ मिलकर उस दौरान कांग्रेस का विरोध कर रहे थे।जब लालू प्रसाद यादव जेल में थे। उसी दौरान उनके घर बेटी का जन्म हुआ।ऐसे जब पहली बेटी का नाम रखने की बात सामने आई तो उनका नाम मीसा एक्ट के तहत मीसा रखा गया। हालांकि हाल ही में राबड़ी देवी ने बताया है कि उनकी बड़ी बेटी मीसा भारती का नाम लालू प्रसाद यादव ने नहीं बल्कि समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण (जेपी)ने रखा था।
मीसा अपने माता-पिता की नौ संतानों (सात बेटियां और दो बेटे) में सबसे बड़ी हैं। मीसा भारती ने अपनी बचपन की पढ़ाई पटना के नामी स्कूल माउंट कार्मल से पूरी की। मीसा भारती ने वर्ष 1993 में टिस्को कोटा के तहत महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, जमशेदपुर में एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लिया। हालांकि सुरक्षा कारणों से लालू यादव ने मीसा को वापस पटना बुलवा लिया। ऐसे में उन्होंने एमबीबीएस का अपना कोर्स पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल से पूरा किया। एमबीबीएस की पढ़ाई करने के दिनों में वह बैडमिंटन की चैंपियन भी थीं। उन दिनों वह खेल में करियर बनाने या बाल रोग विशेषज्ञ बनने के बारे में सोंचा करना चाहती थी।
मीसा ने पीएमसीएच से स्त्री रोग विज्ञान में डिस्टिंक्शन के साथ एमबीबीएस परीक्षा में टॉप किया। उन दिनों उनकी मां राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री थीं। मीसा भारती ने 10 दिसंबर, 1999 को कंप्यूटर इंजीनियर शैलेंद्र कुमार से शादी की। पटना के एक अणे मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास में ही इन दोनों की शादी हुई थी। उस वक्त शैलेश इन्फोसिस में काम करते थे।शैलेश राजधानी पटना के खगौल से सटे गांव सरारी के रहने वाले हैं। उनके पिता रामबाबू पथिक सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक में कार्यरत थे। शादी के कुछ दिनों बाद ही शैलेश ने नौकरी छोड़ दी थी। उसके बाद वो अपना बिजनेस करने लगे। मीसा और शैलेश की तीन संतानें दो बेटियां और एक बेटा है।
मीसा भारती शादी के बाद पारिवारिक दायित्व में बंध गयी। उन्होंने डॉक्टरी में प्रैक्टिस नहीं की। समय बीतने के साथ मीसा अपनी सियासी जड़ों की ओर लौट आयी।वर्ष 2013 में राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में राजद की परिवर्तन रैली में मीसा भारती को राजनीति में पहली बार देखा गया। वर्ष 2013 की परिवर्तन रैली में मीसा भारती ही नहीं लालू के दोनों बेटे तेजस्वी और तेजप्रताप भी राजनीति में पहली बार सक्रिय दिखे थे,लेकिन भाइयों की सक्रियता के बाद भी रैली की तैयारियों की पूरी जिम्मेदारी मीसा ने ही संभाल रखी थी। मीसा का राजनीति में वो पहला बड़ा इम्तहान था और उसमें वे लगभग पास रही थीं।
मीसा भारती वर्ष 2014 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा। मीसा ने वर्ष 2014 में पिता लालू की पार्टी राजद की सदस्यता लेकर इसी पार्टी के बैनर तले पाटलिपुत्र से चुनाव मैदान में भी उतरीं। उन्हें राजद के दिग्गज नेता रामकृपाल यादव के बदले टिकट दिया गया था।कभी लालू प्रसाद यादव के ‘हनुमान’ माने जाने वाले राम कृपाल यादव ने श्रीमती मीसा भारती को 40 हजार 322 मतो के अंतर से पराजित किया था। जदयू प्रत्याशी रंजन प्रसाद यादव तीसरे नंबर पर रहे। वर्ष 2016 में मीसा भारती राजद के कोटे से राज्यसभा सांसद बनीं।
वर्ष 2019 में भी मीसा भारती को पाटलिपुत्र संसदीय सीट पर भाजपा प्रत्याशी रामकृपाल यादव से हार का सामना करना पड़ा।भाजपा प्रत्याशी रामकृपाल यादव ने राजद प्रत्याशी मीसा भारती को दूसरी बार 39 हजार 321 मतों के अंतर से पराजित कर दिया। वर्ष 2022 में श्रीमती मीसा भारती राज्यसभा के लिये फिर निर्वाचित हुयी। वर्ष 2024 के आम चुनाव में पाटलिपुत्र संसदीय सीट पर राम कृपाल यादव और मीसा भारती एक बार फिर सियासी अखाड़े में एक-दूसरे के सामने उतरे पाटलिपुत्र सीट का चुनाव एक सीट भर की बात नहीं थी, बल्कि इसे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की प्रतिष्ठा से जोड़कर भी देखा जा रहा था। रामकृपाल यादव जहां भाजपा के टिकट पर इस बार जीत की हैट्रिक पूरी करने के इरादे से उतरें, वहीं राजद प्रत्याशी मीसा भारती की कोशिश हार की हैट्रिक से बचने और पहली बार यहां से जीत दर्ज करने की भी थी।पाटलिपुत्र संसदीय सीट से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रत्याशी राज्यसभा सांसद मीसा भारती ने इस बार आम जनता की ‘नब्ज’ पकड़ ली और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी पूर्व केन्द्रीय मंत्री राम कृपाल यादव को 85 हजार 174 मतों के अंतर से पराजित किया और पहली बार लोकसभा सांसद बनीं। उन्होंने अपने साथ-साथ पिता के भी हार का बदला चुकाया और पाटलिपुत्र सीट पर पहली बार राजद को जीत दिलाई। एमबीबीएस की टॉपर , बैंडमिंटन की चैंपियन मीसा भारती ने न सिर्फ अपने पिता श्री लालू याादव के पाटलिपुत्र की धरती पर जीतने के सपने को पूरा किया, साथ हीं राजनीति की परीक्षा में भी टॉपर बन गयी।
पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती के हौसले बुलंद हैं। राजद के लिये पाटलिपुत्र सीट पर जीत कई मायने में अहम है। 2009 में खुद लालू यादव इस सीट से चुनाव लड़े थे और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद लगातार दो चुनावों में उनकी बेटी मीसा को हार मिली। अब मीसा ने 2024 में पाटलिपुत्र सीट जीतकर पार्टी में अपना कद बड़ा कर दिया है। मीसा भारती अभी राजद की राज्यसभा सांसद हैं। वह राज्यसभा से इस्तीफा देकर अब लोकसभा जाएंगी। मीसा ने कहा कि वह अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल में नई जिम्मेदारी उठाने को तैयार हैं। यदि पार्टी नेतृत्व चाहेगा तो वह नई भूमिका में आ सकती हैं। उन्होंने कहा कि वह अपने संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए ज्यादा से ज्यादा काम करेंगी।...////...