विवादास्पद लेखक सलमान रुश्दी पर न्यूयार्क में हमला
12-Aug-2022 11:47 PM 5641
न्यूयार्क 12 अगस्त (AGENCY) भारतीय मूल के विवादास्पद लेखक सलमान रुश्दी (75) पर अमेरिका के न्यूयार्क शहर में एक कार्यक्रम के दौरान चाकू से घातक हमला किया गया। न्यूयार्क पुलिस के अनुसार श्री रुश्दी पर हमला उस समय किया जब उनका परिचय कराया जा रहा था। तभी एक हमलावर मंच की ओर दौड़ा और उन पर चाकू से हमला कर दिया। इस हमले में साक्षात्कारकर्ता भी घायल हो गया। हमलावर को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने एक बयान में कहा है कि 12 अगस्त को स्थानीय समयानुसार लगभग 11 बजे एक संदिग्ध व्यक्ति मंच की ओर दौड़ा और श्री रुश्दी और उनके साक्षात्कारकर्ता पर हमला किया। श्री रुश्दी को गर्दन पर चोट आयी है। उन्हें हेलीकॉप्टर से पास के अस्पताल ले जाया गया। हमले में साक्षात्कारकर्ता भी घायल हो हुआ है। श्री रुश्दी पश्चिमी न्यूयार्क में चौटाउक्वा इंस्टीट्यूट की एक सभा में व्याख्यान देने जा रहे थे वहां उनका परिचय कराया जा रहा था कि इसी दौरान एक व्यक्ति ने उन पर चाकू से प्रहार शुरू कर दिया। वहां उपस्थित लोगों ने हमलावर को रोक लिया था लेकिन तब तक श्री रुश्दी जमीन पर गिर चुके थे। घटना की एक तस्वीर में दिख रहा था कि श्री रुश्दी फर्श पर पीठ के बल गिरे हुए हैं और उन्हें पांच-छह व्यक्ति उठाने का प्रयास कर रहे हैं। श्री रुश्दी 1980 के दशक में अपनी एक पुस्तक सेटेनिक वर्सेज को लेकर विवाद में आये थे। उनकी विवादास्पद किताब भारत में भी प्रतिबंधित है। श्री रुश्दी अंग्रेजी में लिखते हैं और लंदन में रहते हैं। इसबीच न्यूयॉर्क प्रांत की गवर्नर कैथी होचुल ने हमले के बाद त्वरित प्रतिक्रिया देने वालों और न्यूयॉर्क स्टेट पुलिस का शुक्रिया अदा किया है। उन्होंने सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर लिखा, “इस भयावह घटना के बाद हमारी सहानुभूति सलमान और उनके चाहने वालों के साथ है। मैंने स्टेट पुलिस को जांच में ज़रूरत पड़ने पर और मदद करने का निर्देश दिया है।” भारतीय मूल के उपन्यासकार ने 1981 में ‘मिडनाइट चिल्ड्रन’ के साथ प्रसिद्धि मिली। अकेले ब्रिटेन में इसकी दस लाख से अधिक प्रतियां बिकीं। वर्ष 1988 में रुश्दी की चौथी किताब द सैटेनिक वर्सेज़ प्रकाशित हुई। इस उपन्यास से कुछ मुसलमानों में आक्रोश फैल गया, उन्होंने इसकी सामग्री को ईशनिंदा करार दिया। पूरी दुनिया में विरोध प्रदर्शन होने लगे और इस किताब पर प्रतिबंध लगाने की मांग होने लगी। वहीं सेंसरशिप और किताब जलाने के विरोध में भी कई विरोध प्रदर्शन हुए। पुस्तक के प्रकाशन के एक साल बाद, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खुमैनी ने रुश्दी के ख़िलाफ़ मौत का फ़तवा जारी किया। फ़तवा जारी होने के बाद सारी चीज़ें एक अलग ही स्तर पर चली गई। खुमैनी के बयान के बाद दुनिया में कूटनीतिक संकट पैदा हो गया। इस किताब के प्रकाशन के बाद हुए विरोध प्रदर्शन में पूरी दुनिया में 59 लोग मारे गए। मृतकों की इस संख्या में उपन्यास के अनुवादकों की संख्या भी शामिल हैं। जान से मारे जाने की धमकियों की वजह से ख़ुद सलमान रुश्दी नौ साल तक छिपे रहे।...////...
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