04-Jul-2025 09:13 PM
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नयी दिल्ली, 04 जुलाई (संवाददाता) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह तमिलनाडु के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति से संबंधित 2020 के नौ अधिनियमों के संचालन पर रोक लगाने के खिलाफ दायर राज्य सरकार की याचिका पर विचार करेगा।
न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति आर महादेवन की अंशकालीन कार्य दिवस पीठ ने तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद याचिका पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की।
पीठ ने इसके साथ ही 2020 के उन नौ अधिनियमों के संचालन पर रोक की मांग करते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका दाखिल करने वालों को नोटिस भी जारी किया।
मद्रास उच्च न्यायालय ने 21 मई, 2025 को उन नौ अधिनियमों के संचालन पर रोक लगाने का आदेश दिया था।
तमिलनाडु सरकार ने इस उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। उसने अपनी विशेष अनुमति याचिका में आरोप लगाया कि उच्च न्यायालय ने अंतरिम आवेदनों पर मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए ‘अनुचित जल्दबाजी’ दिखाई।
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने उन अधिनियमों को राष्ट्रपति के विचार के लिए भेजने के राज्यपाल के फैसले को अवैध घोषित कर संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्ति का उपयोग करते हुए उन्हें (अधिनियमों) पारित घोषित कर दिया था।
पीठ ने याचिकाकर्ता राज्य तमिलनाडु को भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष शीघ्र सुनवाई की मांग करने की अनुमति भी दी।
उच्च न्यायालय ने 21 मई को तिरुनेलवेली के अधिवक्ता के. वेंकटचलपति उर्फ कुट्टी द्वारा दायर रिट याचिका पर उन अधिनियमों के क्रियान्वयन पर रोक लगाते हुए कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) विनियम 2018, राज्य विधान पर प्रतिकूलता के सिद्धांत के आधार पर प्रभावी होगा।
उच्च न्यायालय के समक्ष दायर याचिका में तमिलनाडु द्वारा पारित विधेयकों को चुनौती दी गई थी, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ राज्य विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति के तरीके से संबंधित कानूनों को यूजीसी विनियम 2018 का उल्लंघन बताया गया था।...////...