12-Mar-2023 07:50 PM
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मनामा (बहरीन), 12 मार्च (संवाददाता) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने रविवार को कहा कि सभी वैश्विक विवादों का समाधान बातचीत के माध्यम से शांतिपूर्ण ढंग से किया जाना चाहिए।
श्री बिरला ने यहां अंतर-संसदीय संघ की 146वीं सभा के दौरान हुई आम बहस में ‘शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और समावेशी समाज को बढ़ावा देना: असहिष्णुता के विरुद्ध लड़ाई ’ विषय पर अपने विचार साझा करते हुए भारत की संसद में सदस्यों को अपने विचार व्यक्त करने के लिए दिए गए निर्बाध अधिकारों का उल्लेख किया । उन्होंने यह भी कहा कि भारत में एक मजबूत सहभागी लोकतंत्र और एक जीवंत बहुदलीय प्रणाली है जहां लोगों की आशाएं और आकांक्षाएं निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से अभिव्यक्त होती हैं और लोक सभा में सभी सदस्य अपने विचार और विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं।
उन्होंने कहा कि भारत की संसद ने हमेशा जलवायु परिवर्तन, महिला-पुरुष समानता, सतत विकास और कोविड -19 महामारी जैसी समकालीन वैश्विक चुनौतियों पर व्यापक और सार्थक वाद-विवाद और विचार-विमर्श किया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शांति, सद्भाव और न्याय का प्रसार करने वाली वैश्विक संस्थाएं शांति, समृद्धि, स्थिरता और न्यायोचित विश्व व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं।
श्री बिरला ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे वैश्विक संस्थानों में तेजी से बदलती विश्व व्यवस्था की वास्तविकताओं को दर्शाने के लिए सुधार लाने के मामले में व्यापक सहमति बनाने के लिए गंभीर चर्चा की आवश्यकता है।
लोकसभा अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार में और देरी नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस विषय को भविष्य के वैश्विक एजेंडे में शामिल किया जाए ताकि हम जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, गरीबी, महिला-पुरुष समानता और आतंकवाद जैसी चुनौतियों से निपटने में अधिक से अधिक योगदान दे सकें।
भारत के वैश्विक दायित्वों को पूरा करने में तत्परता के बारे में बात करते हुए श्री बिरला ने कहा कि भारत ने अपने नागरिकों के लिए कोविड -19 के विरुद्ध दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम चलाया और साथ ही अन्य देशों को वैक्सीन मैत्री के तहत चिकित्सा उपकरण और वैक्सीन उपलब्ध कराके इस महामारी से लड़ने में उनकी सहायता भी की। श्री बिरला ने इस बात का उल्लेख भी किया कि भारत जलवायु परिवर्तन के मुद्दे से निपटने के लिए वैश्विक जलवायु कार्य योजना को कार्य रूप देने में विश्व का नेतृत्व कर रहा है।
पूरी दुनिया को भारत के शांति और सद्भाव के शाश्वत संदेश का उल्लेख करते हुए श्री बिरला ने भारत के इस विश्वास को दोहराया कि समावेशी और सहिष्णु समाज का निर्माण केवल शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, आपसी चर्चा और संवाद के माध्यम से ही संभव है। श्री बिरला ने यह भी कहा कि इस संबंध में हमारी संसदों को निर्णायक भूमिका निभानी है। उन्होंने विश्व समुदाय से मानवता के बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए एकजुट होने का आह्वान किया।
इससे पहले भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने विभिन्न सत्रों में भाग लिया। श्रीमती पूनमबेन माडम, सांसद और आईपीयू के महिला सांसद ब्यूरो की सदस्य, ने ब्यूरो की बैठक और महिला सांसद फोरम के पूर्ण सत्र में भाग लिया। श्रीमती अपराजिता सारंगी, श्री भर्तृहरि महताब और श्री राधा मोहन दास अग्रवाल, संसद सदस्य आईपीयू के एशिया प्रशांत समूह की बैठक में शामिल हुए। बैठक के दौरान श्रीमती सारंगी ने पिछले छह महीनों में कार्यकारी समिति की गतिविधियों के बारे में एशिया-प्रशांत समूह के सदस्यों को जानकारी दी। बाद में, समूह ने विभिन्न आईपीयू निकायों में आगामी रिक्तियों के बारे में अपना नामांकन तय किया। श्रीमती सुमलता अंबरीश, सांसद को आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद पर उच्च स्तरीय सलाहकार समूह की सदस्यता के लिए समूह द्वारा समर्थन दिया गया।
एशियाई संसदीय सभा ने सभा के दौरान अपनी समन्वय बैठक भी आयोजित की। श्री विष्णु दयाल राम, और डॉ. सस्मित पात्रा, संसद सदस्य उपरोक्त बैठक में शामिल हुए।...////...