सुप्रीम कोर्ट ने नीट यूजी 2024 का विवाद' सुलझाने आईआईटी दिल्ली से मदद मांगी, मंगलवार को सुनवाई
22-Jul-2024 08:52 PM 6574
नयी दिल्ली 22 जुलाई (संवाददाता) उच्चतम न्यायालय ने स्नातक स्तर की मेडिकल एवं अन्य पाठ्यक्रमों में दाखिले से संबंधित पांच मई को आयोजित राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) 2024 के एक विवादित प्रश्न का सही उत्तर जानने के लिए दिल्ली के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के निदेशक को भौतिकी विषय के विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय एक कमेटी गठित करने सोमवार को निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने आईआईटी के निदेशक को तत्काल विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित करने का निर्देश दिया। अदालत ने साथ ही विशेषज्ञों द्वारा वैकल्पिक उत्तर पर दी गई राय मंगलवार 23 जुलाई दिन के 12 तक अदालत के समक्ष पेश करने संबंधी आदेश पारित किया। पीठ ने यह आदेश इसलिए जारी किया, क्योंकि कुछ याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि पुराने एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के अनुसार एक विकल्प सही है, लेकिन एनसीईआरटी के नए पाठ्यक्रम में दूसरे विकल्प को सही बताया गया है। याचिकाकर्ताओं की दलील है कि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी ने दोनों विकल्पों को सही माना है। पीठ ने नीट परीक्षा दोबारा कराने के पक्ष और विपक्ष में घंटों अलग-अलग याचिकाकर्ताओं के कई अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित किया। पीठ ने सुनवाई के दौरान नीट यूजी की पांच मई को आयोजित विवादित परीक्षा के सेट-एस 3 के भौतिक विषय खंड के प्रश्न संख्या 19 के चार वैकल्पों में दो उत्तर सही घोषित करने वाले राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) फैसले पर कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से उठे सवालों पर संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित जारी किया। पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने उच्चतम न्यायालय के रजिस्टार जनरल से आईआईटी दिल्ली के निदेशक को अदालत के इस आदेश से तत्काल अवगत कराने को कहा, ताकि आदेश का शीघ्रतापूर्वक पालन किया जा सके। शीर्ष अदालत लाखों विद्यार्थियों के भविष्य से जुड़े इस मामले पर मंगलवार को भी जारी रखेगी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने दोबारा परीक्षा के लिए निर्देश देने की मांग करते हुए दावा किया कि नीट यूजी परीक्षा बिना किसी तय प्रक्रिया का पालन किए आयोजित की गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि पूरी तरह से 'प्रणालीगत विफलता' थी और किसी भी स्थान पर आवेदकों के पते का सत्यापन नहीं किया गया था। सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से निगरानी भी सभी जगहों नहीं की गई थी। कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्र हुड्डा ने अदालत के समक्ष तर्क देते हुए कहा कि सवाई माधोपुर में गलत प्रश्नपत्र वितरित किया गया था, लेकिन कोई लाइव निगरानी नहीं थी। सोशल मीडिया पर उन्हें गलत प्रश्नपत्र के बारे में पता चला। पीठ के समक्ष उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के निर्देश का पालन करते हुए एनटीए ने बिना रोल नंबर के पूरी सूची प्रकाशित की, लेकिन कोई अखिल भारतीय रैंक नहीं दी गई है। श्री हुड्डा ने यह भी दावा किया कि बयान दर्ज करने के बाद बिहार पुलिस की जांच में पाया गया कि प्रश्नपत्र 4 मई को सार्वजनिक हुआ था। पीठ ने कहा कि आरोपियों के बयानों से संकेत मिलता है कि कई विद्यार्थी 04 मई की शाम को याद करने के लिए एकत्र हुए थे। इसका मतलब है कि नीट यूजी 2024 का प्रश्न पत्र 04 मई से पहले सार्वजनिक पहले हुआ था। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि ई-रिक्शा द्वारा ले जाया गया प्रश्नपत्र एक स्थापित तथ्य है, लेकिन जो तस्वीर वितरित की गई वह 'ओएमआर शीट' की थी न कि प्रश्नपत्र की। श्री हुड्डा ने दोबारा परीक्षा कराने पर जोर देते हुए दावा किया कि पूरी परीक्षा आयोजित करने का तरीका विश्वास पैदा नहीं करता। हर स्तर पर प्रश्न पत्र सार्वजनिक होने की संभावना थी, उन्होंने स्वीकार किया कि ऐसा हुआ था और व्हाट्सएप पर इसका प्रसार हुआ था। गौरतलब है कि 18 जुलाई को शीर्ष अदालत ने एनटीए को कुछ पारदर्शिता के लिए नीट यूजी परीक्षाओं में विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त अंकों को परीक्षा केंद्र और शहर स्तर पर शनिवार 20 जुलाई 12 बजे दिन तक अपनी बेवसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया था।...////...
© 2025 - All Rights Reserved - Khabar Baaz | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^