22-Jun-2024 08:13 PM
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नयी दिल्ली, 22 जून (संवाददाता) केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के वैज्ञानिकों से प्रोद्योगिकी पर काम करते समय देश के लघु और सीमांत किसानों की भलाई के लिए विशेष रूप से ध्यान देने तथा दलहन और तिलहन में देश को आत्म निर्भर बनाने के लिए काम करने का आह्वान किया है।
श्री चौहान यहां पूसा में आईएआरआई के पूर्व छात्रों के सम्मेलन में मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय से अपील की कि वे छोटे और सीमांत किसानों के हित में कार्य करें ताकि भारतीय कृषि में क्रांति लाएं। श्री चौहान ने कहा कि देश में लगभग 86 प्रतिशत किसान छोटी और सीमांत जोत वाले हैं। उन्होंने कहा, ‘हमको खेती का मॉडल ऐसा बनाना पड़ेगा कि किसान एक हेक्टेयर तक की खेती में भी अपनी आजीविका ठीक से चला सकें।”
उन्होंने कहा कि देश के लिए ऐसी वृहद योजना बनाने की जरूरत है जिस पर चलकर न केवल भारतीय कृषि और किसान का कल्याण हो सके, बल्कि भारत को दुनिया के लिए अनाज की टोकरी बने तथा बड़े पैमाने पर कृषि निर्यात करने की स्थिति में हो।
कृषि मंत्री ने दलहन और तिलहन में आत्मनिर्भर बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही कहा कि हमारे किसानों की आय बढ़ाने और बदलते परिदृश्य के लिए तकनीकी उन्नति को अपनाना अत्यंत आवश्यक है।
श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा,“ किसान को हमें विज्ञान से जोड़ना है और इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र बहुत उपयोगी है।”
इस सम्मेलन में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के पूर्व महानिदेशक डॉ. आर.एस. परोदा , डॉ. रमेशचंद (सदस्य नीति आयोग) और डॉ. हिमांशु पाठक सचिव कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) एवं महानिदेशक आईसीएआर ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए।
आईएआरआई के निदेशक डा. ए.के. सिंह, उप महानिदेशक डा. आर.सी. अग्रवाल भी सम्मेलन मेंउपस्थित थे।
सम्मेलन में विशेषज्ञों ने भारतीय कृषि की चुनौतियों और संभावनाओं पर गहन चर्चा की और किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण और नीतिगत सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया।
डॉ. परोदा ने कहा ,“भारतीय कृषि को नवाचार और वैज्ञानिक अनुसंधान की सहायता से उन्नत करना समय की मांग है। हमें किसानों के साथ मिलकर नई तकनीकों का परीक्षण और कार्यान्वयन करना होगा, जिससे उनकी पैदावार और आय में वृद्धि हो।”
डॉ. रमेशचंद ने इस बात पर जोर दिया कि नीति निर्माण में किसानों की वास्तविक समस्याओं को समझना और उनका समाधान ढूंढना अनिवार्य है।
डॉ. पाठक ने कहा कि सरकार, वैज्ञानिक समुदाय और किसानों के बीच सहयोग से ही हम भारतीय कृषि को नयी ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं।
प्रतिभागियों ने भारतीय कृषि में नवाचार और शोध को बढ़ावा देने के लिए अपने सहयोग का आश्वासन दिया।...////...