पिता से बगावत कर सुधाकर सिंह ने लड़ा था विधानसभा का चुनाव
10-Jun-2024 01:32 PM 3650
पटना, 10 जून (संवाददाता) कारोबार की दुनिया में शोहरत की बुलंदियों को छूने के बाद सुधाकर सिंह ने पिता जगदानंद सिंह की इच्छा के विरुद्ध जाते हुये राजनीति में कदम रखा और सियासी रणभूमि में सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते हुये विधायक, मंत्री और अब सांसद बन न सिर्फ अपने सपने को पूरा किया, साथ ही अपने पिता की राजनीतिक विरासत भी संभाल ली है। सुधाकर सिंह का जन्म 02 जनवरी 1976 को हुआ और उनका पैतृक निवास स्थान कैमूर जिले के रामगढ़ थाना अंतर्गत साहूका गांव में है। वर्ष 1990 में सुधाकर सिंह मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1995 में दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। श्री सिंह को राजनीति विरासत में मिली। वह अपने पिता जगदानंद सिंह के साथ राजनीतिक कार्यक्रमों में जाते रहे हैं, जिसकी वजह से उनकी रुचि हमेशा राजनीति में आने की रही थी। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद सुधाकर सिंह का झुकाव नौकरी की ओर हुआ लेकिन जिंदगी ने अचानक मोड़ लिया और उन्होंने गांव का रुख किया। सुधाकर सिंह राइस मिल के व्यवसाय से जुड़े। गांव-गांव घुमकर किसानों से धान की खरीद शुरू की। सफलता सुधाकर सिंह के कदमो को चूमती गई और उनकी युवा उद्यमियों की टीम बनती गई। इस क्रम में सुधाकर बिहार राइस मिलर संघ के अध्यक्ष भी रहे। इसी दौर में सुधाकर ने राजनीति में भी दांव आजमाना शुरू कर दिया। सुधाकर सिंह के पिता जगदानंद सिंह रामगढ़ से लगतार छह बार विधायक रहे थे। वर्ष 2009 में जगदानंद सिंह बक्सर के सांसद बने। वर्ष 2010 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने सुधाकर सिंह को रामगढ़ विधानसभा से चुनाव लड़ने को न्यौता दिया। जगदानंद सिंह इसके पक्ष में नहीं थे, उन्होंने कहा कि इससे वंशवाद बढ़ेगा, लिहाजा उन्होंने अंबिका सिंह को राजद का टिकट दिलाया। सुधाकर सिह ने पिता से बगावत कर दी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गये। भाजपा ने रामगढ़ से सुधाकर सिंह को उम्मीदवार बना दिया। राजद के दिग्गज नेता जगदानंद सिंह ने अपने पुत्र भाजपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह के विपक्ष में प्रचार किया। इस चुनाव में राजद के अंबिका सिंह ने जीत हासिल की। भाजपा के सुधाकर सिंह तीसरे नंबर पर रहे। सुधाकर की हार से ज्यादा चर्चा पिता जगदानंद सिंह के पार्टी के पक्ष में मजबूती से खड़े रहने की हुई। सुधाकर सिंह का नाता बाद में भाजपा से टूट गया।वह राजद में सक्रिय हो गए। वर्ष 2020 में उन्होंने रामगढ़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। इस बार राजद के सुधाकर सिंह ने बाजी मार ली। कांटे के मुकाबले में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रत्याशी अंबिका सिंह को महज 189 मतों के अंतर से शिकस्त दी। सुधाकर सिंह बिहार सरकार में कृषि मंत्री बनाये गये। हालांकि उन्होंने बाद में कृषि मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। इस बार के आम चुनाव में बक्सर में लगातार दो बार वर्ष 2014 और वर्ष 2019 में जीत का परचम लहरा चुके केन्द्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे का टिकट काटकर भाजपा ने उनकी जगह पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, राजद ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र और रामगढ़ के विधायक सुधाकर सिंह को उम्मीदवार बनाया। राजद प्रत्याशी श्री सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी मिथिलेश तिवारी को कड़े मुकाबले में 30 हजार 91 मतों के अंतर से पराजित किया। इस जीत के साथ ही श्री सिंह पहली बार सांसद तो बने ही साथ ही विधानसभा के बाद लोकसभा मे भी अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभाल ली है। बक्सर लोकसभा सीट पर जीत हासिल करने के बाद सुधाकर सिंह ने कहा, "मैं भारतीय संसद का सदस्य हूं। इसलिए मेरा पहला काम सभी भारतीय कानूनों को बदलने का होगा, जो किसानों के खिलाफ है। चाहे भूमि अधिग्रहण हो या मंडी कानून का हो या न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का मामला हो। नई शिक्षा की नीति हो जिसमें ये सरकार उच्च शिक्षा के लिए पैसा नहीं देना चाहती। ये जो बड़े मसले हैं सरकार के जरिए सुलझेंगे। जो छोटे-छोटे काम है मेडिकल कॉलेज का मसला है, नहरों की सफाई का मसाला है इस सभी चीजों को हम अपने व्यक्तिगत प्रयास से हल कराएंगे।...////...
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