पांच वर्ष में हर गांव में सहकारी संस्था होगी , सरकार राष्ट्रीय सहकारी नीति भी लायेगी: शाह
30-Jun-2025 08:46 PM 7641
नयी दिल्ली 30 जून (संवाददाता) केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि मोदी सरकार ने अगले पांच वर्षों में हर गांव में सहकारी संस्था के गठन का लक्ष्य रखा है और जल्द ही राष्ट्रीय सहकारी नीति की भी घोषणा की जायेगी। श्री शाह ने सोमवार को यहां अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष - 2025 के उपलक्ष्य में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सहकारिता मंत्रियों के साथ ‘मंथन बैठक’ की अध्यक्षता में यह बात कही। सहकारिता मंत्रालय द्वारा आयोजित बैठक में देशभर के सहकारिता मंत्रियों, अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रधान सचिवों और सहकारिता विभागों के सचिवों ने भाग लिया। मंथन बैठक का उद्देश्य भारत में सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए योजनाओं की समीक्षा, उपलब्धियों का आंकलन और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करना है। श्री शाह ने कहा कि भारत में लगभग 60 से 70 करोड़ लोग ऐसे थे जिनके पास कई पीढ़ियों तक जीवन जीने की मूलभूत सुविधाएं भी नहीं थीं। उन्होंने कहा कि 2014 से 2024 तक के दस वर्ष के कालखंड में ही मोदी सरकार ने इन करोड़ों लोगों का जीवनस्वप्न पूरा कर इन्हें घर, शौचालय, पीने का पानी, अनाज, स्वास्थ्य, गैस सिलिंडर आदि सुविधाएं मुहैया करायी हैं। उन्होंने कहा कि ये करोड़ों लोग अपने जीवन को और बेहतर बनाने के लिए उद्यम करना चाहते हैं लेकिन इनके पास पूंजी नहीं है और इनकी छोटी-छोटी पूंजी से बड़ा काम करने का एकमात्र रास्ता सहकारिता है। उन्होंने कहा कि देश के हर व्यक्ति के लिए काम के सृजन के लिए सहकारिता के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है और इसीलिए चार वर्ष पहले बहुत दूरदर्शिता के साथ सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की गई। श्री शाह ने कहा कि हमें संवेदनशीलता के साथ देश के करोड़ों छोटे किसानों और ग्रामीणों के कल्याण के लिए सहकारिता को पुनर्जीवित करना ही होगा क्योंकि इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। श्री शाह ने कहा कि इस चिंतन और मंथन से तभी भला हो सकता है जब देश के 140 करोड़ लोग रोज़गार प्राप्त कर परिश्रम के साथ अपना जीवन व्यतीत करें और इसे सफल बनाने के लिए सरकार ने 60 पहल की हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से एक महत्वपूर्ण पहल है राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस का निर्माण जिसकी मदद से हम कमियां ढूंढ सकते हैं। उन्होंने कहा कि ये राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस इसीलिए बनाया गया है कि राष्ट्रीय, राज्य, ज़िला और तहसील स्तर की सहकारी संस्थाएं मिलकर ये देख सकें कि किस राज्य के किस गांव में एक भी सहकारी संस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि अगले 5 वर्ष में देश में एक भी गांव ऐसा न रहे जहां एक भी सहकारी संस्था न हो और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सहकारी डेटाबेस का उपयोग करना चाहिए। केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि भारत में सहकारिता आंदोलन के छिन्न-भिन्न होने के पीछे तीन मुख्य कारण हैं। उन्होंने कहा कि हमने समय के साथ कानून नहीं बदले, जो अब मोदी सरकार ने बदल दिए हैं। हमने सहकारिता की गतिविधियों को जोड़ा या समय के साथ बदला नहीं था। उन्होंने कहा कि पहले सहकारिता में सारी भर्तियां भाई-भतीजावाद से होती थीं और इसीलिए त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी का विचार किया गया। केन्द्रीय मंत्री ने आग्रह किया कि हर राज्य की कम से कम एक सहकारिता प्रशिक्षण संस्था, त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी के साथ जुड़े और राज्य के कोऑपरेटिव आंदोलन की ट्रेनिंग की पूरी हॉलिस्टिक व्यवस्था त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी के माध्यम से ही हो। श्री शाह ने कहा कि कुछ ही समय में राष्ट्रीय सहकारिता नीति की घोषणा भी होगी जो 2025 से 2045 तक, यानी लगभग आजादी की शताब्दी तक अमल में रहेगी। उन्होंने कहा कि इस राष्ट्रीय सहकारिता नीति के तत्वाधान में ही हर राज्य की सहकारिता नीति वहां की सहकारिता की स्थिति के अनुरूप बने और इसके लक्ष्य भी निर्धारित हों। उन्होंने कहा कि तभी आज़ादी की शताब्दी तक हम एक आदर्श सहकारी देश बन सकेंगे।...////...
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