10-Mar-2022 11:41 PM
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नयी दिल्ली, 10 मार्च (AGENCY) मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमन ने गुरुवार को कहा कि निष्पक्ष एवं न्यायसंगत समाज का सपना साकार करने के लिए न्यायिक प्रणाली में सभी पृष्ठभूमि की महिलाओं की हिस्सेदारी सुनिश्चित करनी होगी।
न्यायमूर्ति रमन ने 'महिला न्यायाधीशों के अंतरराष्ट्रीय दिवस' के अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि इसके लिए न्यायपालिका और कानूनी शिक्षा में अधिक महिलाओं को प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों और वकीलों के रूप में महिलाओं की भागीदारी सभी तक न्याय पहुंचाने की स्थिति में काफी सुधार करेगी।
उन्होंने कहा, “न्यायशास्त्र में विकास तभी होगा जब हमारे बार और बेंच में विविध आवाजें होंगी। अनुभव की विविधता विचारों में विविधता लाती है।"
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं की कम हिस्सेदारी की प्रमुख वजह हमारे समाज में पितृसत्ता का गहरा संबंध है।
उन्होंने कहा, “ सर्वोच्च न्यायालय में अब चार महिला न्यायाधीश हैं, जो इसके इतिहास में अब तक की सबसे अधिक संख्या है। निकट भविष्य में हम भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश को देखेंगे। लेकिन, मुझे लगता है कि हम अभी भी अपनी न्यायपालिका में महिलाओं का कम से कम 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने से बहुत दूर हैं।"
उन्होंने कहा कि कानूनी पेशे में अब भी पुरुषों का प्रभुत्व है। महिलाओं का बहुत कम प्रतिनिधित्व है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “उच्च न्यायालयों के लिए हमने अब तक 192 नामों की सिफारिश की, जिनमें 37 यानी 19 फीसदी महिलाएं थीं । यह निश्चित रूप से उच्च न्यायालयों में मौजूदा महिला न्यायाधीशों के प्रतिशत में सुधार है, जो 11.8 प्रतिशत है।"
उन्होंने कहा, "10 मार्च को 'महिला न्यायाधीशों के अंतरराष्ट्रीय दिवस' के रूप में मान्यता देना, जागरूकता पैदा करने और राजनीतिक इच्छाशक्ति को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। मैं कानूनी शिक्षा में लड़कियों के लिए आरक्षण का पुरजोर प्रस्ताव करता हूं। उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि इस तरह के आरक्षण के प्रावधान से जिला स्तर पर महिला न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति में उत्साहजनक परिणाम देखने को मिले हैं।"
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के जुड़े हुए हैं, इसलिए हमें न्यायिक प्रणाली में सभी वर्गों की महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। निष्पक्ष और समतामूलक समाज का सपना तब साकार होगा जब सभी पृष्ठभूमि की महिलाओं की हिस्सेदारी सुनिश्चित होगी होगी।...////...