19-Apr-2025 11:03 PM
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नयी दिल्ली, 19 अप्रैल (संवाददाता) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सऊदी अरब की तीसरी यात्रा दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझीदारी को मजबूत करेगी तथा रक्षा एवं आर्थिक संबंधों में सहयोग को नयी ऊंचाइयां प्रदान करेगी।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में प्रधानमंत्री की सऊदी अरब यात्रा का विवरण साझा करते हुए यह बात कही। श्री मिस्री ने कहा, “ प्रधानमंत्री अगले सप्ताह 22 और 23 अप्रैल को सऊदी अरब की यात्रा पर जाएंगे। यह यात्रा सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस एवं प्रधानमंत्री प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के निमंत्रण पर हो रही है। श्री मोदी की सऊदी अरब की यह तीसरी यात्रा होगी। इससे पहले वर्ष 2016 और वर्ष 2019 में वह सऊदी अरब गये थे।”
श्री मिस्री ने कहा, “यह यात्रा भारत के लिए एक रणनीतिक साझीदार के रूप में सऊदी अरब के महत्व के कारण भी महत्वपूर्ण है। सऊदी अरब एक बहुत बड़े भारतीय प्रवासी समुदाय की मेजबानी करता है, संभवतः दुनिया में अपनी तरह का दूसरा सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है। सऊदी अरब इस्लामी दुनिया में एक अग्रणी आवाज है और तेजी से क्षेत्रीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह यात्रा इस रणनीतिक साझीदार के साथ पहले से ही मजबूत संबंधों को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करती है। प्रधानमंत्री और क्राउन प्रिंस कई लोगों के साथ बहुत करीबी व्यक्तिगत संबंध साझा करते हैं। एक-दूसरे के प्रति गर्मजोशी और सम्मान और सर्वोच्च स्तर पर रणनीतिक मार्गदर्शन से द्विपक्षीय संबंधों को बहुत कुछ हासिल हुआ है।”
एक सवाल के जवाब में विदेश सचिव ने कहा कि प्रधानमंत्री सऊदी अरब में रहने वाले 27 लाख भारतीय कामगार एवं उनके परिवार के लोगों से भी मुलाकात करेंगे। उन्होंने संभावना जताई कि श्री मोदी प्रवासी भारतीय कामगारों के किसी कार्यस्थल का दौरा भी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों नेता भारत सऊदी अरब रणनीतिक साझीदारी परिषद की बैठक की सह अध्यक्षता करेंगे। इस परिषद में दो समितियों - राजनीतिक, सुरक्षा, सांस्कृतिक एवं सामाजिक मामलों की समिति और आर्थिक, निवेश, व्यापार एवं प्रौद्योगिकी संंबंधी समिति की बैठकें भी होंगी। उन्होंने कहा कि दाेनों नेताओं के बीच बातचीत में रक्षा संबंधों और आर्थिक संबंधों में वृद्धि पर फोकस होगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक कॉरिडोर के बारे में भी बातचीत होगी।
हज कोटा को लेकर विवाद के बारे में एक सवाल के जवाब में श्री मिस्री ने कहा कि सऊदी अरब ने भारत को कुल एक लाख 75 हजार का कोटा निर्धारित किया है। इसमें से एक लाख 22 हजार 500 सरकारी आवंटन से जाते हैं और करीब 52 हजार हजयात्री प्रशासन एवं प्रबंधन कोटे के होते हैं, जिन्हें निजी ऑपरेटर ले जाते हैं। इस साल भारतीय टूर ऑपरेटर सऊदी सरकार की समयसीमा के भीतर पंजीकरण कराने में सफल नहीं रहे। इस पर भारत सरकार ने हस्तक्षेप किया और अब सऊदी सरकार ने मीना के लिए तय सीमा से दस हजार का कोटा और बढ़ा दिया है।
श्री मिस्री ने कहा कि यह क्षेत्रीय स्थिति के साथ-साथ वैश्विक गतिविधियों को लेकर आपसी चिंता के कई मुद्दों पर विचार विमर्श करने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवसर है। नौवहन और नेविगेशन आदि के संबंध में हूती आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले, जाहिर तौर पर कुछ ऐसे हैं जिन पर भारत भी बारीकी से नजर रख रहा है। भारतीय नौसेना ने उस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रयास किया है और व्यापारी जहाजों और नाविकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पहले से ही कई उपाय किए हैं, इसी तरह, पश्चिम एशिया की स्थिति, इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच वर्तमान स्थिति पर चर्चा के लिए और स्पष्ट रूप से उस मोर्चे पर भी, हमने कुछ चिंता के घटनाक्रम देखे हैं। सऊदी अरब इस मुद्दे के समाधान में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। भारत इस मुद्दे में सभी प्रमुख पक्षकारों के साथ शामिल रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध को रुकवाने को लेकर हो रही पहल के बारे में पूछे जाने पर विदेश सचिव ने कहा, “दोनों पक्षों के बीच
होने वाली चर्चा का एक महत्वपूर्ण बिन्दु यह भी होगा। प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे के समाधान करने के लिए बातचीत की आवश्यकता को लेकर भारत की स्थिति को स्पष्ट किया था। सभी पक्ष के लोगों को एक मेज के चारों ओर बैठने और इसका समाधान खोजने की आवश्यकता व्यक्त की थी और हम ऐसा कुछ होते हुए देखकर खुश हैं और यह अच्छा है कि सऊदी अरब जैसा भागीदार इस अभ्यास में फिर से शामिल हो गया है। पहले से अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि चर्चा की प्रकृति क्या होगी। लेकिन यह दोनों नेताओं के बीच चर्चा का एक महत्वपूर्ण विषय भी होने वाला है।...////...