मेडिकल कॉलेज का नामकरण गुरु तेग बहादुर के नाम पर
24-Apr-2022 07:49 PM 6927
पानीपत 24 अप्रैल (AGENCY) गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व समागम में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रविवार को पानीपत में आयोजित राज्य स्तरीय 400वें प्रकाश पर्व के मौके पर आयोजित समारोह में गुरु साहिब के त्याग और बलिदान को याद करते हुए यमुनानगर में बनने जा रहे सरकारी मेडिकल कॉलेज का नाम गुरु तेग बहादुर के नाम पर रखे जाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने पानीपत की ऐतिहासिक धरती पर आयोजित हुए समागम स्थल का नाम गुरु तेग बहादुर के नाम पर करने की घोषणा की। इसके अतिरिक्त जिस रास्ते से गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी आई, उस रास्ते का नामकरण भी गुरु तेग बहादुर मार्ग रखे जाने का ऐलान किया। श्री खट्टर ने एक अन्य घोषणा करते हुए कहा कि गुरु तेग बहादुर जी ने लड़ते वक्त जिन शस्त्रों का प्रयोग किया, उनकी प्रदर्शनी देशभर में लगाई जाएगी। उन्होंने यह फैसला किया है कि इन शस्त्रों को लेकर जाने वाला वाहन हरियाणा सरकार अपनी ओर से भेंट देगी। अपने संबोधन से पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मुख्य पंडाल में पहुंचकर सबसे पहले गुरु ग्रंथ साहिब के सामने शीश नवाया। इसके बाद अपने समागम स्थल पर पहुंची संगत का हाथ जोड़कर अभिवादन किया। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर ने अत्याचार और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हुए अपना बलिदान दिया था। आज उनके 400वें प्रकाश पर्व को आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत मनाया जा रहा है। इस समागम का मुख्य मकसद भी यही है कि गुरु तेग बहादुर जी के त्याग, बलिदान, संघर्ष की गाथा जन-जन तक पहुंचे और हमारी आने वाली पीढिय़ां उनसे प्रेरणा लें। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरुओं ने समाज और देश की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया था। जब 500 कश्मीरी पंडि़तों का जत्था गुरु तेग बहादुर जी के पास आनंदपुर साहिब पहुंचा और उन्होंने औरंगजेब के अत्याचार के बारे में गुरु साहिब को अवगत करवाया, तब गुरु साहिब ने कहा कि वक्त आ गया है जब किसी महापुरुष को बलिदान देना होगा। इस पर गुरु साहिब के पुत्र गोबिंद ने कहा कि आपसे बड़ा बलिदानी कौन होगा। इसके बाद गुरु साहिब ने औरंगजेब को चुनौती दी। अत्याचारी शासक औरंगजेब ने गुरु साहिब को घोर यातनाएं देकर उनका शीश धड़ से अलग कर दिया। गुरु साहिब ने देश-धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। श्री खट्टर ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी का हरियाणा से गहरा नाता रहा है। उन्होंने हरियाणा व पंजाब से होकर 6 यात्राएं की। गुरु साहिब ने हरियाणा के 32 गुरुद्वारों में अपने चरण रखे। गुरु साहब धमतान साहिब, मंजी साहिब, गढ़ी साहिब, कराह साहिब आदि स्थानों पर पहुंचे। गुरु साहिब के शीश की अंतिम यात्रा भी हरियाणा से होकर निकली। उनके शीश के पीछे औरंगजेब की सेना लगी हुई थी। गुरु साहब के चेहरे से मिलते-जुलते सोनीपत के बढख़ालसा गांव के किसान कुशाल सिंह दहिया ने अपना शीश कटवा दिया। जिसे लेकर औरंगजेब की सेना दिल्ली चली गई और गुरु साहिब का शीश पंजाब ले जाया जा सका। हरियाणा सरकार गुरु साहिब के विचारों को सहजने के लिए दृढ़ संकल्पित है। उनके चरणों में नतमस्तक होते हुए सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। समारोह में स्वामी ज्ञानानंद महाराज, आनंद मूर्ति गुरू मां, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमित सिंह सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने संगत को संबोधित किया। इस मौके पर हरियाणा के अधिकांश मंत्री, सांसद व विधायक समेत अनेक साधु संत मौजूद रहे।...////...
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