महबूबा ने जम्मू-कश्मीर की चुनौतियों से निपटने के लिए वाजपेयी जैसे नेतृत्व पर बल दिया
25-Dec-2024 06:18 PM 4827
श्रीनगर, 25 दिसंबर (संवाददाता) जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर में दशकों से व्याप्त हिंसा एवं अनिश्चितता से निपटने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी जैसे दूरदर्शी नेतृत्व की आवश्यकता पर बल दिया। सुश्री मुफ्ती ने पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी को उनकी 100वीं जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए यह बात कही। उन्होंने वाजपेयी को एक दूरदर्शी राजनेता कहा, जिन्होंने देश की सबसे जटिल चुनौतियों, विशेषकर जम्मू-कश्मीर की चुनौतियों से निपटने के लिए वैचारिक विभाजन को पार किया। एक बयान में, पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के रूप में वाजपेयी के कार्यकाल को जम्मू-कश्मीर के लिए स्वर्णिम काल कहा, जहां मानवता, जम्हूरियत और कश्मीरियत के उनके दृष्टिकोण ने क्षेत्र के मुद्दों का समाधान करने के प्रति उनके दृष्टिकोण का दर्शाया। उन्होंने कहा कि “अपनी वैचारिक पृष्ठभूमि के बावजूद, वाजपेयी जी ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर, अत्यधिक शत्रुता के बावजूद भी, पाकिस्तान की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया। उनका यह विश्वास कि 'पड़ोसी बदले नहीं जा सकते, लेकिन संबंधों की फिर से कल्पना की जा सकती है' उनके राजनेता होने का कुशल प्रमाण था।” पीडीपी अध्यक्ष ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे 1999 में ऐतिहासिक लाहौर बस यात्रा और उसके बाद की शांति पहल सहित, वाजपेयी की पाकिस्तान तक पहुंच ने उपमहाद्वीप में विश्वास बढ़ाने और तनाव में कमी लाने का आधार तैयार किया। उन्होंने कहा कि “करगिल युद्ध और कई आतंकवादी हमलों के बाद भी बातचीत के प्रति उनका साहस शांति के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह वाजपेयी जी का नेतृत्व और मुफ्ती मोहम्मद सईद का आलोचनात्मक समझ और समर्थन ही था जिससे जम्मू-कश्मीर में ऐतिहासिक विश्वास बहाली के लिए कदम उठाए गए।” उन्होंने श्री वाजपेयी को साहसिक कदम उठाने हेतु राजी करने का श्रेय अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद को दिया, जिसने रिश्तों पर जमी बर्फ को तोड़ा और क्षेत्र के लिए आशा के एक नए युग की शुरुआत की। पूर्व मुख्यमंत्री ने याद किया कि कैसे वाजपेयी ने सईद की अंतर्दृष्टि के साथ, नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार लोगों से लोगों के संपर्क की सुविधा प्रदान की, संघर्ष विराम की पहल की और आगे बढ़ने के एकमात्र उपाय के रूप में सुलह पर बल दिया। उन्होंने कहा कि “वाजपेयी जी के दृष्टिकोण ने जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे नेताओं की व्यावहारिक लेकिन मानवीय दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित किया। वह घावों को भरने, विश्वास को बढ़ावा देने और संवाद के अवसर उत्पन्न करने में विश्वास करते थे। उनकी नीतियों ने जम्मू-कश्मीर के लिए उम्मीद की किरण प्रदान की, जो दर्शाता है कि सहानुभूति एवं दूरदर्शिता में निहित नेतृत्व कैसे परिवर्तनकारी बदलाव ला सकता है।” उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों को दशकों पुरानी हिंसा और अनिश्चितता से बाहर निकालने के लिए आज भी ऐसे ही नेतृत्व की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “हमें ऐसे नेताओं की आवश्यकता है जो विभाजनकारी राजनीति से ऊपर उठ सकें, लोगों में विश्वास जगा सकें और न सिर्फ क्षेत्र में, बल्कि समूचे उपमहाद्वीप में विभाजन को पाट सकें। वाजपेयी जी की विरासत हमें याद दिलाती है कि जम्मू-कश्मीर शांति के पुल के रूप में काम कर सकता है, न कि कलह के लिए युद्ध मैदान के रूप में।” पूर्व मुख्यमंत्री ने वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान सुलह की कहानी को आकार देने में अपने पिता की महत्वपूर्ण भूमिका को दोहराया, एक साझेदारी जो इस बात का एक स्थायी उदाहरण है कि कैसे सहयोग और दृष्टि सबसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को भी बदल सकती है।...////...
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