लोढ़ा ने राठौड़ की याचिका को लेकर प्रस्तुत किया विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव
22-Jan-2023 08:50 PM 7402
जयपुर 22 जनवरी (संवाददाता) राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार एवं निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने विधायकों के त्याग पत्र संबंधित प्रकरण में विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय से पूर्व प्री मैच्योर स्टेज पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ की उच्च न्यायालय में दायर जनहित याचिका को लेकर विधानसभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियम 157 के तहत विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। श्री लोढ़ा ने विधानसभा सचिव महावीर शर्मा के समक्ष आज यह प्रस्ताव प्रस्तुत किया। श्री लोढा ने इसे सोमवार से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र के दौरान 24 जनवरी को सदन में उठाने की अनुमति मांगी है। उन्होंने प्रस्ताव में संविधान के अनुच्छेद 190 (3) (ख) के प्रावधान का उल्लेख किया है जो कि त्याग पत्र से संबंधित है। इसी तरह प्रस्ताव में राजस्थान विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 173 (2) का भी प्रस्ताव में उल्लेख किया है। श्री लोढा ने प्रस्ताव में कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष विधानसभा सदस्यों के त्याग पत्र संबंधी मामला विचारधीन था, अध्यक्ष ने इस प्रकरण में अपना निर्णय नहीं दिया। उसी दौरान -प्री मैच्योर स्टेज पर ) श्री राठौड़ द्वारा उच्च न्यायालय में इस प्रकरण में जनहित याचिका दायर किया जाना न केवल अध्यक्ष की अवमानना की गई है बल्कि राजस्थान विधानसभा के विशेषाधिकारों का हनन भी किया गया है। उहोंने प्रस्ताव में कहा कि यह विशेषाधिकार हनन का प्रश्न वर्तमान सत्र में 24 जनवरी को सदन में उठाये जाने की अनुमति प्रदान किए जाने के लिए प्रस्तुत किया गया है। उधर इस पर श्री राठौड़ ने सोशल मीडिया के जरिए कहा कि अब किस्सा कुर्सी में 91 विधायक के 110 दिन पुराने त्याग पत्र पर जन किरकिरी हुई तो विधानसभा को कवच के रूप में इस्तेमाल करने का ताना बाना बना रहे हैं जिसमें कामयाब नहीं होंगे। विशेषाधिकार के हनन के प्रस्ताव का मुकाबला करेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के सलाहकार को बधाई उन्हें 91 विधायक के त्यागपत्र के प्रकरण जो न्यायालय में डेढ़ माह से विचाराधीन है, पर अब तो ध्यान आया। विधानसभा के नियम एवं प्रकिया के नियम 53 में स्पष्ट प्रावधान है कि जो विषय न्यायालय में विचाराधीन हो उन पर सदन में विचार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के सलाहकार अगर विधानसभा के नियम 157 जिसमें विशेषाधिकार का प्रस्ताव लेकर आये , उसका अध्ययन कर लेते तो शायद यह गलती नहीं करते।...////...
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