खेल को मूल अधिकार का दर्जा देने की नेशनल स्पोर्टस असेंबली में उठी मांग
13-Jul-2022 09:32 PM 4711
गाजियाबाद, 13 जुलाई (AGENCY) खेलों को शिक्षा में अनिवार्य तौर पर बढ़ावा देने के क्षेत्र में कार्यरत प्रबंधन एवं तकनीक संस्थान (आईएमटी) द्वारा आयोजित ‘नेशनल स्पोर्ट्स असेम्बली’ में स्कूल एवं कॉलेज स्तर के छात्रों एवं विशेषज्ञों ने खेल और शारीरिक शिक्षा को संविधान के तहत मूल अधिकार का दर्जा देने की मांग का प्रस्ताव पारित किया है। मशहूर हॉकी काेच अशोक ध्यानचंद की अगुवाई में खेलों के विकास के क्षेत्र में कार्यरत सामाजिक संगठन ‘स्पोर्टस ए वे ऑफ लाइफ’ और आईएमटी के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को नेशनल स्पोर्टस असेंबली के आयोजन की यहां अनूठी पहल की गयी। आईएमटी के प्रमुख डा कनिष्क पांडे ने बताया कि नेशनल स्पोर्टस असेंबली के मानसून सत्र में कई अहम प्रस्ताव पारित कर सरकार से इन्हें पूरा करने की मांग की गयी। उन्होंने बताया कि इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरु किये गये खेलो इंडिया अभियान को सार्थक बनाने के लिये देश में खेल संस्कृति विकसित करने के उपायों पर विस्तार से चर्चा हुई। ध्यानचंद ने कहा कि असेंबली में मुख्य रूप से पारित प्रस्तावों में देश के सभी विश्वविद्यालयों में अलग से ‘खेल स्नातक’ पाठ्यक्रम शुरु करने, स्कूली शिक्षा में खेलों पर अनिवार्य पाठ्यक्रम शामिल करने, सभी पुस्तकालयों में खेल साहित्य की उपलब्धता सुनिश्चित करने और खेल के अधिकार को मौलिक अधिकार का दर्जा देने की मांग की गयी। इस दौरान खेल जगत के विशेषज्ञों ने आदिवासी क्षेत्रों में पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने की कार्ययोजना को भी अंतिम रूप दिया। जिससे आदिवासी समुदायों में तीरंदाजी, निशानेबाजी और तैराकी जैसी नैसर्गिक खेल प्रतिभाओं काे निखारा जा सके। असेंबली को संबोधित करते हुए ध्यानचन्द ने इस बात पर जोर दिया कि मोबाइल फोन, टीवी और कंप्यूटर से घिरे बच्चों को खेल के मैदान पर भेजने में अभिभावक सक्रिय भूमिका निभायें। जिससे बच्चाें का समग्र शारीरिक, मानसिक एवं चारित्रिक विकास हो सके। तभी भावी पीढ़ी के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास संभव हो सकेगा। इस दौरान डा पाण्डेय ने कहा कि बच्चों को शुरू से ही यदि खेलों से जुड़ी पठन पाठन की सामग्री दी जाये और उन्हें खेलों के महत्व के बारे में बताया जाये ताे बच्चे न सिर्फ खेलों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेंगे बल्कि गेजेट्स की गिरफ्त में आने से भी बचेंगे। उन्होंने कहा कि असेंबली में पारित प्रस्तावों पर चर्चा के उपरान्त इन्हें केन्द्र और राज्य सरकारों को भेजने का फैसला किया गया। जिससे सरकारें इन पर अमल कर खेलों के उत्थान का लक्ष्य प्राप्त कर सकें। असेंबली के अध्यक्ष एवं आइएमटी के निदेशक डा विशाल तलवार ने बताया कि आइएमटी, गाजियाबाद पिछले कई वर्षों से खेल संस्कृति के विकास के लिए कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल आयोजित पहली नेशनल स्पोर्टस असेंबली के प्रस्तावों पर कई राज्य सरकारों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली थी। इससे प्रोत्साहित होकर दूसरी असेंबली में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने की अगले चरण की कार्ययोजना से जुड़े प्रस्ताव सरकार के समक्ष भेजने का फैसला किया गया है।...////...
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