07-Jul-2024 05:30 PM
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बेंगलुरु, 07 जुलाई (संवाददाता) केंद्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने रविवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के 2013 के चुनावी हलफनामे पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि चुनावी हलफनामे में श्री सिद्दारमैया की पत्नी पार्वती को उपहार में दी गई भूमि का कोई उल्लेख नहीं था।
विचाराधीन 3.16 एकड़ भूमि कथित रूप से 2005 में पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन ने उपहार में दिया था और वर्तमान में यह कथित मैसूर विकास प्राधिकरण (मुडा) साइट घोटाले के संबंध में विवादों में है। सिद्दारमैया पहले ही घोटाले में शामिल होने के किसी भी आरोप को खारिज कर चुके हैं।
श्री कुमारस्वामी ने कहा कि श्री सिद्दारमैया के 2013 के चुनावी हलफनामे में संपत्ति के कॉलम से जमीन का उल्लेख स्पष्ट रूप से गायब था। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत, सभी उम्मीदवारों को अपने परिवार की संपत्ति और देनदारियों का खुलासा करना होता है और ऐसा करने में विफल रहने पर उम्मीदवार के नामांकन खारिज किये जाने सहित गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
पार्टी कोर कमेटी की बैठक में श्री कुमारस्वामी ने भूमि के जटिल इतिहास को रेखांकित किया। केंद्रीय मंत्री के अनुसार, भूमि खंड मूल रूप से जवारा उर्फ निंगा के स्वामित्व में था, जिसे 1992 में अधिग्रहण के लिए अधिसूचित किया गया था और 1997-98 में अधिसूचना रद्द कर दी गई थी। इसके बाद कथित रूप से भूमि 2004 में मल्लिकार्जुन के हाथों में चली गई और 2005 में एक उपहार के माध्यम से श्रीमती पार्वती को हस्तांतरित कर दी गई।
उन्होंने कहा कि “यह मुडा घोटाला दूरगामी है। श्री सिद्दारमैया को यह स्पष्ट करने की आवश्यकता है कि क्या उन्होंने 2013 के चुनावों के लिए अपने हलफनामे में इस संपत्ति की घोषणा की थी। हमें इन लेनदेन के पीछे की सच्चाई को उजागर करने के लिए गहन जांच करने की आवश्यकता है।”
श्री कुमारस्वामी ने अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की संलिप्तता का संकेत दिया और शहरी विकास मंत्री बिरथी सुरेश पर महत्वपूर्ण दस्तावेजों को मैसूर से बेंगलुरु ले जाकर घोटाले को छिपाने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
जवाब में, वरिष्ठ कांग्रेस नेता एचए वेंकटेश ने श्री सिद्दारमैया का बचाव करते हुए कहा कि भूमि का उपयोग मुडा द्वारा औपचारिक अधिग्रहण के बिना लेआउट विकास के लिए किया गया था। श्री वेंकटेश ने कहा कि मुआवजे के रूप में, श्रीमती पार्वती को 2022 में 38,000 वर्ग फुट विकसित भूमि आवंटित की गई थी और यह कार्रवाई वैध थी।
उन्होंने कहा, “यह सच नहीं है कि जवारा मूल मालिक था। जमीन श्रीमती पार्वती की थी और उन्हें जो मुआवजा मिला वह कानूनी रूप से सही था।”
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कथित जमीन घोटाले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि हुबली में अहिंदा सम्मेलन आयोजित करने से पहले श्री सिद्दारमैया को सफाई देनी चाहिए। उपायुक्त डॉ. केवी राजेंद्र का हालिया तबादला घोटाले को और ज्यादा साबित करता है।...////...