03-Nov-2024 04:09 PM
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श्रीनगर, 03 नवंबर (संवाददाता) जम्मू-कश्मीर में 10 वर्ष के बाद विधानसभा का पहला सत्र सोमवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच शुरू होगा।
अटकलें है कि मुख्यमंत्री एवं नेशनल कांफ्रेस(नेकां) उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला पांच अगस्त, 2019 की कार्रवाई की निंदा करते हुए और अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग करते हुए प्रस्ताव पारित कर सकते हैं।दरअसल नेकां ने चुनावों के दौरान ‘अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए की बहाली’ के लिए प्रस्ताव लाने का वादा किया था। अन्य दलों ने इस तरह के प्रस्ताव को पारित करने के लिए नेकां पर दबाव बनाया है।
नेकां की गठबंधन सहयोगी - कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और सरकार को समर्थन देने वाले निर्दलीय उम्मीदवार - सत्र के लिए अपनी रणनीति तैयार करने के लिए आज शाम एक विधायी बैठक कर रहे हैं।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2018 से ही निर्वाचित सरकार नहीं है। इस दौरान पूर्व राज्य का विभाजन करके उसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा सदन के नवनिर्वाचित सदस्यों को संबोधित करेंगे। सत्र के दौरान अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों के लिए चुनाव होगा।
भारतीय जनता पार्टी ने आज सुनील शर्मा को विपक्ष का नेता चुना और नरेंद्र सिंह को उपाध्यक्ष पद के लिए पार्टी का उम्मीदवार बनाया। ईदगाह निर्वाचन क्षेत्र से नेकां के विधायक मुबारक गुल को अध्यक्ष चुने जाने तक कार्यवाही की देखरेख के लिए प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया।
अधिकारियों ने बताया कि सत्र के सुचारू संचालन के लिए विधानसभा परिसर में सभी आवश्यक व्यवस्थाएं कर ली गई हैं। श्रीनगर के डाउनटाउन इलाके में शनिवार को हुई मुठभेड़ के बाद, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का एक विदेशी कमांडर मारा गया और चार सुरक्षाकर्मी घायल हो गए, विधानसभा सत्र से पहले शहर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। सुरक्षा बलों ने विधानसभा परिसर की ओर जाने वाली सड़कों पर जांच चौकियां स्थापित की हैं तथा किसी भी प्रकार की दुर्घटना मुक्त सत्र सुनिश्चित करने के लिए वाहनों की आकस्मिक जांच की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि श्री अब्दुल्ला के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद राज्य में छह आतंकवादी हमले हुए हैं। इनमें लश्कर के कमांडर समेत छह आतंकवादी ढेर हुए हैं। इस दौरान तीन जवान भी शहीद हुए और आठ गैर कश्मीरी मंजदूरों की भी मौत हुई है। राज्य में नयी सरकार के बनने के बाद आतंकवादियों ने गैर कश्मीरियों को निशाना बनाकर कई हमले किए हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के आतंकवादियों पर दिए बयान को लेकर भी सत्र का हंगामेदार रहने का आसार है । दरअसल उन्होंने कहा था कि सुरक्षाबल आतंकवादियों को मारे नहीं, बल्कि उन्हें गिरफ्तार करें। इसे लेकर भाजपा ने उन पर निशाना साधा था।...////...