दिल्ली उच्च न्यायालय ने सिसोदिया की जमानत याचिका पर ईडी,सीबीआई से मांगा जवाब
03-May-2024 07:54 PM 6039
नयी दिल्ली 03 मई (संवाददाता) दिल्ली उच्च न्यायालय ने आबकारी नीति से जुड़े कथित शराब घोटाला मामले में पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की ओर से दाखिल जमानत याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को शुक्रवार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। श्री सिसोदिया के मामले में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति स्वर्णा कांता शर्मा ने ईडी और सीबीआई से जवाब मांगा और इस मामले की अगली सुनवाई आठ मई को मुकर्रर की गयी है। वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने श्री सिसोदिया की ओर से जिरह करते हुये कहा कि निचली अदालत के पहले के आदेश में उनके मुवक्किल को सप्ताह में एक बार अपनी बीमार पत्नी से मिलने की इजाजत दी गयी थी, जिसे जारी रखा जाना चाहिये। ईडी की ओर से पेश विशेष वकील ज़ोहेब हुसैन ने कहा कि यदि उप-मुख्यमंत्री को उनकी बीमार पत्नी से मिलने की इजाजत देने वाले निचली अदालत के आदेश को जारी रखा जाता है, तो उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं है। श्री सिसौदिया ने 30 अप्रैल को सीबीआई और ईडी दोनों मामलों में उनकी दूसरी जमानत याचिका खारिज करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुये उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इससे पहले ईडी और सीबीआई दोनों मामलों में निचली अदालत, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने श्री सिसोदिया की याचिका को खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत ने जमानत मंजूर करने से इनकार के खिलाफ श्री सिसोदिया की समीक्षा याचिका भी खारिज कर दी थी। उनकी क्यूरेटिव याचिका भी खारिज कर दी गयी थी। शीर्ष अदालत ने हालांकि पिछले साल 30 अक्टूबर को उनकी याचिका को खारिज करते हुये कहा था कि यदि उनका मामला धीमी गति से आगे बढ़ता है, तो वह निचली अदालत के समक्ष अपनी नयी जमानत याचिका दायर कर सकते हैं। गौरतलब है कि श्री सिसोदिया को पिछले साल 26 फरवरी और नौ मार्च को सीबीआई और ईडी ने गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज कर श्री सिसोदिया और अन्य दिल्ली के लिये नयी आबकारी नीति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप लगाया गया है। नयी आबकारी नीति को तैयार किया गया था, और उसके बाद उसे रद्द कर दिया गया था। उल्लेखनीय है कि श्री सिसोदिया पर 2021-22 की आबकारी नीति के संबंध में 'सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना लाइसेंसधारक को निविदा के बाद अनुचित तौर से लाभ पहुंचाने की सिफारिश करने और ऐसा निर्णय लेने का आरोप लगाया गया था।...////...
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