16-Nov-2024 10:47 PM
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उदयपुर, 16 नवंबर (संवाददाता) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि देश की आजादी, जनजाति स्वाभिमान और मिट्टी की मर्यादा के लिए भगवान बिरसा मुंडा का योगदान अविस्मरणीय है।
श्री धनखड़ भगवान बिरसा मुंडा की 150वी जयंती के उपलक्ष में शनिवार को उदयपुर जिले के सुदूर कोटड़ा कस्बे में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग तथा राजस्थान वनवासी कल्याण परिषद के तत्वावधान में आयोजित जनजाति गौरव महोत्सव को मुख्य अतिथि के रुप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बड़ा अच्छा लग रहा है, जो हमारे मन में है और सदैव प्रातः स्मरणीय हैं उनका आज सम्मान हो रहा है। अगुआ राज, अगुआ राज अर्थात हमारा शासन, हमारा शासन यह कहने वाले बिरसा मुण्डा के योगदान को सदैव याद रखा जाएगा। उनकी सोच दूरदर्शी थी और उनका संकल्प था कि हमारा राज आएगा और उनका राज जाएगा। सांस्कृतिक सोच को इस बालक योद्धा ने तीन शब्दों में समाहित कर दिया- जल, जंगल और जमीन।
श्री धनखड़ ने बिरसा मुण्डा को इस धरती का पुजारी और पर्यावरण का हितैषी बताते हुए कहा “आपके दृढ़ संकल्प को सच होता देखकर मेरा मन अति प्रसन्न है कि अब अपना देश बदल रहा है। देश के सर्वाच्च पद राष्ट्रपति के पद पर जनजाति की महिला श्रीमती द्रोपदी मुर्मु बिराजमान है और यह हम सभी के लिए गौरव की बात है। यह सम्मान कोई बक्शीस नहीं है, आपका और हमारा अधिकार और उस अधिकार को प्राप्त कर पद को सुशोभित किया है।” उपराष्ट्रपति ने कहा कि संसद में स्थापित भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा हमें हमेशा प्रेरित करेंगी और राष्ट्र भावना का संचार करेंगी।
उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में हजारों लाखों लोगों ने योगदान दिया। पता नहीं क्यों इतिहासकारों ने बिरसा मुंडा के योगदान, मानगढ़ धाम के बलिदान को भूला दिया। आजादी के अमृतकाल में आजादी की लड़ाई के भूले बिसरे नायकों को सम्मान दिया जा रहा है। हर वर्ष 15 नवंबर को बिरसा मुण्डा की जन्म जयंती को राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस के रूप मनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा का पूरा जीवन राष्ट्रवाद का संदेश है। उन्होंने आमजन से आह्वान किया कि सभी इस महापुरूष को समझे और इनके कृत्य को आदर्श माने और हमेशा राष्ट्रवाद को सर्वोपरि रखे। भारतीयता हमारी पहचान, भारत हमारी माता, राष्ट्रवाद हमारा धर्म और राष्ट्रहित सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि बिरसा मुण्डा को स्वाभाविक रूप से भगवान कहा गया है क्योंकि उनका आचरण, उनकी नैतिकता, उनकी ताकत, उनकी दूरदृष्टि, उनका लक्ष्य जमीन से जुड़ा है और सिर्फ यहीं तक उनका काम सीमित नही रहा। यह वो व्यक्ति थे जिन्होंने हमें जल जंगल जमीन का महत्व बताया। जनजाति के लोग पर्यावरण के महत्व को सिखाते हैं।
इस अवसर पर प्रदेश के जनजाति मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा जनजाति गौरव के प्रतीक हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार जनजाति संस्कृति और सम्मान को पुनर्जीवित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में वनवासी कल्याण परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह खारवा एवं राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री भगवान सहाय ने उपराष्ट्रपति का स्वागत किया।...////...