ड्रेनेज की चुनौती से निपटने को बने राष्ट्रीय नीति: धामी
24-May-2025 09:58 PM 2678
नयी दिल्ली, 24 मई (संवाददाता) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि राज्य में शहरीकरण तेजी से हो रहा है जिसके कारण शहरों में ड्रेनेज की समस्या भी उसी गति से बढ़ते हुए एक गंभीर चुनौती बन गई है इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर इस संकट से निपटने के लिए व्यापक नीति तैयार की जानी चाहिए। श्री धामी ने शनिवार को यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की शासी परिषद की दसवीं बैठक में हिस्सा लेते हुए कहा कि पूरे देश में शहरीकरण की रफ्तार बढ़ रही है और ड्रेनेज एक बड़ा संकट बन रहा है। उन्होंने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर टिकाऊ ड्रेनेज प्रणाली विकसित करने के लिए विशेष योजना बनाई जानी चाहिए। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पीएम सिंचाई योजना की गाइडलाइन्स में लिफ्ट इरिगेशन को शामिल किया जाना चाहिए। उनका कहना था कि उत्तराखंड की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थितियों के कारण पर्वतीय क्षेत्र में इस समय महज 10 प्रतिशत भूभाग पर ही सिंचाई हो पा रही है। राज्य में हिमनद आधारित नदियों को वर्षात आधारित नदियों से जोडने को 'नदी जोड़ो परियोजना' तथा स चेक डैम्स और लघु जलाशयों के निर्माण से वर्षा जल संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2026 में उत्तराखंड में पर्वतीय महाकुंभ के रूप में प्रसिद्ध 'मां नन्दा राजजात यात्रा' तथा वर्ष 2027 में हरिद्वार में 'कुंभ का आयोजन होना है। इन दोनों आयोजनों को 'भव्य एवं दिव्य' बनाने के लिए सहयोग की मांग की। विकसित भारत के निर्माण में 'डेमोग्राफिक डिविडेंड' की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि इस लाभ को प्राप्त करने के लिए एक निश्चित समय सीमा में इसका दोहन आवश्यक है और इस दृष्टि से आने वाले दस वर्ष हमारे प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इसी अवधि में 'डेमोग्राफिक डिविडेंड' का ज्यादा लाभ उठाया जा सकता है और इसे ध्यान में रखते हुए राज्य में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्तरों पर काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन प्रधानमंत्री के नेट जीरो के विजन को ध्यान में रखते हुए 'ग्रीन गेम्स' थीम पर किया गया। इन खेलों में इलैक्ट्रॉनिक्स वेस्ट सामग्री की रीसाइक्लिंग से 4000 पदक तैयार किए। सौर ऊर्जा के ज़रिए बिजली आवश्यकताओं की पूर्ति की गई। इस आयोजन में लगभग 4000 से 5000 टन कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को रोकने में सफलता प्राप्त हुई।...////...
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