बुजुर्गों के साथ जुड़ाव के विषय को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए: हेल्पयेज इंडिया
13-Jun-2025 09:20 PM 3802
नयी दिल्ली, 13 जून (संवाददाता) गैर सरकारी संस्था हेल्पयेज इंडिया ने आने वाली पीढ़ियों में घर-समाज के वयोवृद्ध लोगों की भावनाओं और जरूरतों के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए इस विषय को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की सिफारिश की है। हेल्पेज इंडिया ने कहा है, “ स्कूलों में ‘आयु संवेदीकरण’ कार्यक्रम या पाठ्यक्रम शामिल किये जायें, ताकि उम्र के अनुकूल और उम्र समावेशी समाज की नींव जीवन में जल्दी रखी जा सके, सहानुभूति और उम्र के सम्मान को बढ़ावा मिले। ” इस क्षेत्र में चार दशक से अधिक समय से काम कर रही इस प्रतिष्ठित संस्था का कहना है कि सरकार को इस उद्देश्य के लिए एक राष्ट्रीय अंतर-पीढ़ी जुड़ाव मिशन बनाने पर विचार करना चाहिए। देश में वयोवृद्ध और युवा पीढ़ी के बीच स्नेह और सम्मान के परम्परागत संबंधों में आ रहे परिवर्तन पर गैर सरकारी संस्था हेल्पयेज इंडिया की शुक्रवार को ‘इंडिया इंटरजनरेशनल बाँड्स (इनबॉड्स) शीर्षक एक रिपोर्ट जारी की। इसमें कहा गया है कि भारत की आबादी में 60 वर्ष या उससे अधिक की आयु के लोगों का हिस्सा 2050 तक बढ़कर 19 प्रतिशत तक पहुंच जायेगा, जो इस समय आबादी का लगभग 12 प्रतिशत है। भारत इस समय दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी का घर है और देश में इस समय 15-29 वर्ष की आयु वर्ग की आबादी 36.5 करोड़ से अधिक है । इस सर्वे रिपोर्ट से पता चला है कि भारत की 56 प्रतिशत युवा आवाबदी बुजुर्गों को ‘अकेला’ और 48 प्रतिशत ‘आश्रित’ मानती है, लेकिन 51 प्रतिशत युवा अपने बुजुर्गों को ‘बुद्धिमान’ और 43 प्रतिशत ‘सम्मानित’ मानते हैं। रिपोर्ट का कहना है, “ युवाओं की यह सोच रूढ़िवादी विचारों के अस्तित्व के साथ-साथ सहानुभूति और प्रशंसा के मिश्रण को दर्शाती है। ” हेल्पयेज इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रोहित प्रसाद ने कहा, “ यह रिपोर्ट अपने आप में एक अपेक्षाकृत सुखद स्थिति का संकेत देने के साथ समय पर सतर्कता का संकेत है। हालांकि भारत में बुजुर्गों के प्रति सम्मान और पारिवारिक संबंधों को आज भी बहुत महत्व दिया जाता है, - जहां 86 प्रतिशत बुजुर्ग खुद को महत्वपूर्ण समझते हैं - लेकिन सतह के नीचे एक शांत, अधिक चिंताजनक अलगाव छिपा हुआ है। ” रिपोर्ट में कहा गया है, “ विभिन्न पीढ़ियों के साथ जीने वाले घरों में विशेष रूप से 18-24 वर्ष की आयु वर्ग के युवा, अपने दादा-दादी के साथ मजबूत भावनात्मक बंधन साझा करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि अलग रहने वाले युवा अक्सर बुढ़ापे के बारे में अधिक सकारात्मक धारणा रखते हैं, जो दर्शाता है कि दूरी का मतलब हमेशा अलगाव नहीं होता है। ” हेल्पयेज इंडिया के नीति अनुसंधान विभाग की अनुपमा दत्ता ने कहा कि युवा पीढ़ी जीवन शैली में अंतर और डिजिटल प्रौद्योगिकी जनित अंतर के बावजूद, बुजुर्ग बड़े पैमाने पर बुजुर्गों की देखभाल में परिवार की केंद्रीय भूमिका को लेकर सहमत है। युवा पीढ़ी स्वेच्छा से बुजुर्गों को डिजिटल समावेशन में मदद करना चाहती है। रिपोर्ट के मुताबिक बुजुर्गों से जुड़ाव के कामले में मेट्रो शहर के युवाओं (62.52 प्रतिशत) और गैर-मेट्रो शहरों के (65.18) के बीच स्कोर में उल्लेखनीय अंतर देखा जाता है। रिपोर्ट में अंतर-पीढ़ी देखभाल के लिए युवाओं पर आधारित सामुदायिक देखभाल कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किये जाने और बुजुर्गों के लिए देखभाल प्रणाली और नेटवर्क को सक्षम और सुविधाजनक बनाने की सिफारिश की गयी है। हेल्पयेज इंडिया ने इस दिशा में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में युवा स्वयंसेवकों के साथ बुजुर्ग देखभाल केंद्र चलाये जाने और इसमें कंपनियों के सामाजिक दायित्व कोर्ष से मदद की सफारिश भी की है।...////...
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