07-Jul-2025 12:49 AM
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पुरी 06 जुलाई (संवाददाता) ओड़िशा के पुरी में रथों पर सवार भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के स्वर्ण वेष (स्वर्ण पोशाक) को देखने के लिए आज बीस लाख से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
रथ यात्रा थल तीन किलोमीटर लंबा ग्रैंड रोड पर भक्तों की दो विशाल कतारें थीं जिसमें से एक रथों की ओर बढ़ रही थी और दूसरी स्वर्ण श्रृंगार अनुष्ठान के दौरान दर्शन करने के बाद लौट रही थी।
पहांडी बिजे के बाद आयोजित होने वाला स्वर्ण वेष नौ दिनों तक चलने वाली वार्षिक रथ यात्रा के सबसे विस्मयकारी आयोजनों में से एक माना जाता है।
शाम चार बजे से देवताओं को स्वर्ण आभूषण पहनाने की रस्म शुरू हुई और शाम पांच बजे तक पूरी हो गई। देवताओं को दर्शन के लिए पूरी तरह से सजाया गया।
परंपरा के अनुसार मेकप सेवक (मंदिर के कोषाध्यक्ष), कड़ी सुरक्षा के बीच अस्थायी स्ट्रांग रूम से कीमती आभूषणों के तीन सेट लाए और उन्हें प्रत्येक रथ पर सवार ड्रेसर को सौंप दिया। देवताओं को बड़े पैमाने पर सोने के आभूषणों से सजाया गया था।
आज रात 11 बजे के बाद सुना वेश का समापन होगा, जिसके बाद आभूषणों को सुरक्षित रूप से स्ट्रांग रूम में वापस कर दिया जाएगा।
पांच वार्षिक सुना वेशों में से चार मंदिर के गर्भगृह के अंदर आयोजित किए जाते हैं जबकि यह एक विशेष रूप से बाहर रथों पर मनाया जाता है, जिससे यह सभी भक्तों के लिए भगवान के दर्शन सुलभ हो जाते है।
इससे पहले दिन में मंगला आरती, तड़पा लगी, मैलम, अबकाश, सूर्य पूजा, रोजा होम और गोपाल भोग जैसे दैनिक अनुष्ठान किए गए। इसके बाद दोपहर 1:50 बजे मध्याह्न धूपा हुआ। स्वर्ण पोशाक को सुशोभित करने से पहले देवताओं को खंडुआ नामक पवित्र वस्त्र पहनाया गया।
1978 की सूची के अनुसार मंदिर में चार क्विंटल से अधिक वजन के 367 सोने के आभूषण और 14 क्विंटल वजन के 251 चांदी के आभूषण हैं। इनमें से कई दुर्लभ हीरे, पन्ना, माणिक और उत्तम गुणवत्ता वाले अन्य कीमती पत्थरों से जड़े हुए हैं। कल रात, रथों पर देवताओं को पवित्र पेय अधर पना की पेशकश की जाएगी। मंगलवार को नीलाद्रि बिजे के रूप में जाना जाने वाला घर वापसी अनुष्ठान मनाया जाएगा, जिसमें देवी लक्ष्मी को रसगुल्ला भोग का प्रतीकात्मक अर्पण किया जाएगा।...////...