08-Mar-2023 11:40 PM
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चेन्नई 08 मार्च (संवाददाता) अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का एक संयुक्त पृथ्वी अवलोकन उपग्रह, निसार बुधवार को बेंगलुरु हवाई अड्डे पर उतरा। इसका आगे परीक्षण किया जाएगा, एकीकृत किया जाएगा और जनवरी 2024 में श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण किया जाएगा।
यह 9,000 मील (14,000 किमी) की यात्रा करने के बाद आज अमेरिकी वायुसेना के उपग्रह ले जाने वाले सी-17 विमान से बेंगलुरु हवाई अड्डे पर उतरा। अमेरिकी महावाणिज्य दूतावास चेन्नई आज ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।
अमेरिकी वाणिज्य दूतावास चेन्नई ने बेंगलुरु हवाई अड्डे पर उतरने के बाद हवाई अड्डे की तस्वीरें भी ट्वीट के माध्यम से साझा की।
निसार, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के बीच सहयोग की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है।
इसरो के सूत्रों ने कहा कि निसार मिशन अनुसंधान और अनुप्रयोग के क्षेत्र में गेम चेंजर साबित होगा और अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखने का एक बहुत ही नया तरीका खोज निकालेगा।
पिछले महीने निसार उपग्रह को पारंपरिक दक्षिण भारतीय शैली में नारियल फोड़कर अमेरिका से विदा किया गया था।
जिसमें नासा, इसरो, जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) और भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) को दक्षिणी भारत ले जाने से पहले एक विदाई समारोह का आयोजन किया था।
पांच फरवरी को, एसयूवी आकार के पेलोड निसार को बेंगलुरु के यू आर राव उपग्रह केंद्र की उड़ान यात्रा के लिए एक विशेष कार्गो कंटेनर में लोड किया गया था, जहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 2024 में प्रक्षेपित करने के लिए इसे अंतरिक्ष यान बस के साथ एकीकृत किया जाएगा।
इसको भारत भेजने से पहले, निसार के उन्नत रडार उपकरणों को दक्षिणी कैलिफोर्निया में नासा के जेपीएल में इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ, जेपीएल निदेशक लॉरी लेशिन और नासा मुख्यालय और भारत के गणमान्य व्यक्तियों और अभियना के सदस्यों की उपस्थिति में मीडिया को दिखाया गया था।
इस कार्यक्रम में, सुविधा के बाहर नासा के निसार परियोजना के प्रबंधक फिल बरेला और इसरो के निसार परियोजना के निदेशक सीवी श्रीकांत ने औपचारिक रूप से नारियल फोड़ा था। भारत में, विशेष रूप से दक्षिण भारत में यह आम परंपरा है जो शुभ अवसरों को चिह्नित करती है। श्री लेशिन ने इसरो प्रतिनिधिमंडल को जेपीएल लकी मूंगफली का एक जार भी भेंट किया था।
निसार के भारत पहुंचने पर इसरो अध्यक्ष ने कहा कि “आज हम नासा और इसरो की अपार वैज्ञानिक क्षमता का लाभ उठाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़े हैं, जिसकी कल्पना नासा और इसरो ने आठ वर्ष से ज्यादा समय पहले एक साथ काम करने के दौरान की थी।”
श्री सोमनाथ ने कहा कि यह मिशन एक विज्ञान उपकरण के रूप में रडार की क्षमता का एक शक्तिशाली प्रदर्शन होगा और हमें पृथ्वी की गतिशील भूमि और बर्फ की सतहों का विस्तार अध्ययन करने में मदद करेगा।
निसार मिशन का प्रक्षेपण संभवतः जनवरी 2024 में, एसएचएआर रेंज, श्रीहरिकोटा से किया जाएगा और इसे 98.4 डिग्री के झुकाव के साथ 747 किमी की ऊंचाई पर निकट-ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
निसार मिशन पर नासा की वेबसाइट से प्राप्त की गई जानकारी के अनुसार, इसरो इस मिशन के लिए अपने सबसे भारी स्वदेशी रॉकेट जीएसएलवी-एमकेII/एलवीएम-3 का उपयोग करेगा।
निसार मिशन पृथ्वी के बदलते पारिस्थितिक तंत्र, बायोमास, प्राकृतिक खतरों, समुद्री स्तर में वृद्धि और भूजल के बारे में जानकारी प्रदान करेगा और पृथ्वी की गतिशील सतहों और बर्फ के द्रव्यमान को मापेगा और कई अन्य अनुप्रयोगों का समर्थन करेगा।
निसार वैश्विक स्तर पर पृथ्वी की भूमि और बर्फ से ढकी सतहों का निरीक्षण करेगा और मौलिक रूप से तीन वर्षीय मिशन के लिए औसतन प्रत्येक छह दिनों में पृथ्वी का नमूना लेगा। निसार प्रत्येक 12 दिनों में वैश्विक भूमि बायोमास, पौधों से कार्बनिक पदार्थों की मात्रा को भी मापेगा।...////...