बजट शिक्षा प्रणाली को अधिक व्यावहारिक और उद्योगोन्मुख बनाने वाला: मोदी
25-Feb-2023 06:35 PM 8687
नयी दिल्ली 25 फरवरी (संवाददाता) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज अगले वित्त वर्ष के बजट को शिक्षा प्रणाली को अधिक व्यावहारिक और उद्योगोन्मुख बनाकर उसकी बुनियाद को मजबूत करने वाला बताया और कहा कि कौशल एवं विकास, भारत के अमृत काल के दौरान दो प्रमुख उपकरण हैं तथा ये युवा ही हैं, जो विकसित भारत का सपना लेकर देश की अमृत यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं। श्री मोदी ने ‘हार्नेसिंग यूथ पॉवर – स्किलिंग एंड एजुकेशन’ (युवाशक्ति का सदुपयोग–निपुणता और शिक्षा) पर बजट-उपरांत तीसरे वेबिनार को आज सम्बोधित किया। केंद्रीय बजट 2023 में घोषित होने वाली पहलों के कारगर क्रियान्वयन के लिये सुझाव और विचार आमंत्रित करने के क्रम में सरकार द्वारा आयोजित 12 बजट-उपरांत वेबिनारों में से यह तीसरा वेबिनार है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कौशल और विकास, भारत के अमृत काल के दौरान दो प्रमुख उपकरण हैं तथा ये युवा ही हैं, जो विकसित भारत का सपना लेकर देश की अमृत यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं। अमृत काल के पहले बजट में युवा और उनके भविष्य पर दिये जाने वाले विशेष बल को रेखांकित करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष का बजट शिक्षा प्रणाली को अधिक व्यावहारिक और उद्योगोन्मुख बनाकर उसकी बुनियाद को मजबूत करता है। उन्होंने पिछले वर्षों में शिक्षा प्रणाली में लचीलेपन के अभाव पर अफसोस प्रकट किया और इसमें बदलाव लाने के लिये सरकार द्वारा किये जाने वाले प्रयासों का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा, “युवाओं की सहज योग्यता और भविष्य की मांग को ध्यान में रखकर शिक्षा और निपुणता को नई दिशा दी जा रही है।” उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के अंग के रूप में शिक्षा और निपुणता, दोनों पर समान जोर दिया जा रहा है तथा उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि इस पहल से शिक्षकों का समर्थन मिला है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अतीत के नियम-कानून के बोझ से छात्रों को मुक्त करने के साथ-साथ सरकार शिक्षा और कौशल विकास सेक्टरों में आगे और सुधार करेगी। कोविड महामारी के दौरान के अनुभवों को मद्देनजर रखते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि नई प्रौद्योगिकी नये स्वरूप की कक्षायें बनाने में मदद कर रही है। सरकार उन उपायों पर गौर कर रही है, जो ‘हर स्थान से ज्ञान तक सुगमता’ सुनिश्चित करें। उन्होंने ‘स्वयम्’ नामक ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म का उदाहरण दिया, जिसके 3 करोड़ सदस्य हैं। उन्होंने इस संभावना का संकेत दिया कि वर्चुअल प्रयोगशालायें और राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय ज्ञान का विशाल माध्यम बन रहे हैं। उन्होंने डीटीएच चैनलों के जरिये स्थानीय भाषाओं में पढ़ने के अवसर का भी उल्लेख किया और कहा कि देश में ऐसी अनेक डिजिटल व प्रौद्योगिकी आधारित पहलें हो रही हैं, जिन्हें राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय से अधिक से अधिक ताकत मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा “भविष्यगामी पहलें हमारी शिक्षा, कौशल और ज्ञान-विज्ञान के पूरे परिप्रेक्ष्य को बदल देंगी। अब हमारे शिक्षकों की भूमिका कक्षाओं तक सिमट के नहीं रहेगी।” उन्होंने उल्लेख किया कि देशभर से शिक्षा संस्थानों के लिये विविध शिक्षण सामग्रियां उपलब्ध हो जायेंगी, जो गांव व शहरी स्कूलों के बीच के अंतराल को पाटते हुये शिक्षकों के लिये अवसरों के नये द्वार खोलेंगी।...////...
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