12-Oct-2021 04:49 PM
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विश्वभर में अर्थराइटिस (गठिया) सबसे सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। इस बीमारी के प्रति लोगों में उतनी जागरूकता नहीं है, जितनी हृदय रोगों या डायबिटीज को लेकर है। लोगों को अर्थराइटिस के बारे में जागरूक करने, बचाव के उपाय और उपचार के विकल्पों के बारे में जानकारी देने के लिए हर साल 12 अक्टूबर को ‘वर्ल्ड अर्थराइटिस डे’ मनाया जाता है। अर्थराइटिस से बचाव भी आपके हाथ में है और इससे ग्रसित होने पर तुरंत जांच और समय रहते उपचार कराने के पश्चात सामान्य जीवन जीना भी।
अर्थराइटिस जोड़ों से संबंधित एक स्वास्थ्य समस्या है। इसमें जोड़ों में सूजन आ जाती है, तेज दर्द व जलन के साथ उन्हें हिलाने-डुलाने में भी तकलीफ होती है। अर्थराइटिस किसी को किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ इसके मामले अधिक देखे जाते हैं। बदली जीवनशैली, खानपान की गलत आदतें, शारीरिक सक्रियता की कमी के कारण युवा भी तेजी से इसके शिकार हो रहे हैं। अर्थराइटिस के कई प्रकार हैं, लेकिन आस्टियो अर्थराइटिस और रूमैटाइड अर्थराइटिस इसके सबसे सामान्य रूप हैं।
प्रमुख लक्षण
जोड़ों का कड़ा और कमजोर हो जाना
जोड़ों को हिलाने-डुलाने में परेशानी होना
जोड़ों में दर्द, सूजन और जलन होना
सुबह नींद से उठने पर तेज दर्द महसूस होना
सीढ़ियां चढ़ने-उतरने और नीचे फर्श पर बैठने में परेशानी होना
हड्डियों के चटकने की आवाज आना
आस्टियो अर्थराइटिस: सभी प्रकार के अर्थराइटिस में से आस्टियो अर्थराइटिस के मामले सर्वाधिक होते हैं। यह तब होता है, जब हड्डियों का सुरक्षात्मक आवरण जिसे कार्टिलेज कहते हैं, क्षतिग्रस्त हो जाता है। कार्टिलेज जोड़ों की हड्डियों को आपस में रगड़ने, घिसने और क्षतिग्रस्त होने से बचाता है।
बचने के उपाय
संतुलित, पोषक और घर के बने पौष्टिक खाने का सेवन करें
खानपान में फलों, सब्जियों और साबुत अनाज को अधिक मात्रा में शामिल करें
शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। हल्की-फुल्की एक्सरसाइज या वाक करें
सुबह के समय 20 से 30 मिनट धूप में बिताएं
रूमैटाइड अर्थराइटिस: रूमैटाइड अर्थराइटिस में जोड़ों के आसपास के ऊतक क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इसके कारण मांसपेशियां और लिगामेंट्स भी क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। शुरुआती स्टेज में यह शरीर के छोटे जोड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन बाद में बड़े जोड़ जैसे कंधे, कूल्हे और घुटने भी इससे प्रभावित हो जाते हैं। रूमैटाइड अर्थराइटिस स्थायी दिव्यांगता का कारण भी बन सकता है।
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