12-Jun-2023 11:02 PM
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नयी दिल्ली 12 जून (संवाददाता) लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को कहा कि आधुनिक समाज को आदिवासी समाजों की जीवन शैली से बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है, जो प्रकृति के अनुरूप रही है। श्री बिरला संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे जिसमें विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के सदस्यों को आमंत्रित किया गया था।
श्री बिरला ने प्रकृति, परंपरा और संस्कृति के ज्ञान की जनजातीय विरासत के संदर्भ के बारे में ध्यान दिलाते हुए कहा कि प्राचीन काल से ही वनवासियों ने प्रकृति के साथ तालमेल से रहकर समाज के सामने एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों और विशेष रूप से पीवीटीजी की जीवन शैली हमेशा प्रकृति के अनुरूप रही है और आधुनिक दुनिया को उनसे बहुत कुछ सीखना है।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सभी वर्गों को समान अधिकार और स्वतंत्रता के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक समानता प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने भेदभाव का सामना करने वाले आदिवासी लोगों को विशेष सुरक्षा प्रदान करने के लिए संविधान सभा की सराहना की।
श्री बिरला ने कहा कि आधुनिक भारत के इतिहास में ऐतिहासिक केन्द्रीय कक्ष उन सभी लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक है, जो संविधान से सभी देशवासियों को प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारत की आजादी का गवाह केन्द्रीय कक्ष पर संविधान निर्माताओं ने सभी भारतीयों को समानता, न्याय और स्वतंत्रता की गारंटी दी थी।
अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री पीवीटीजी मिशन की सराहना की, जिसके अंतर्गत इस समूह के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अगले तीन वर्षों में 15 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि वन उपज के साथ-साथ आदिवासी लोगों की कला और शिल्प की अनूठी डिजाइन के कारण इनकी मांग पूरी दुनिया में बढ़ी है।
श्री बिरला ने यह भी कहा कि इससे इन परंपराओं को जीवित रखा जा सकेगा और साथ ही ऐसे समूहों के बारे में जानकारी का प्रसार करने में मदद मिलेगी। श्री बिरला ने कहा कि इसके माध्यम से पीवीटीजी अपने पारंपरिक मूल्यों और शिल्प को भी संरक्षित कर सकते हैं। इस मौके पर उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष में भगवान बिरसा मुंडा और अन्य आदिवासी नेताओं द्वारा दिए गए योगदान का भी उल्लेख किया।
श्री बिरला ने कहा कि देश के विभिन्न संस्थानों, शासन और निकायों में जनजातीय समुदायों की भागीदारी भारतीय लोकतंत्र की जीवंतता और विविधता बढ़ेगी । उन्होंने विभिन्न राज्य-प्रदेश से अंडमान निकोबार, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, असम, तेलंगाना, मणिपुर, झारखंड आदि राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों से आए पीवीटीजी के सदस्यों से बातचीत की।
इस मौके पर जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा और जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरुता भी उपस्थित थीं।...////...